रांची(ब्यूरो)। रोड एक्सीडेंट होने पर अब एंबुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। पुलिस वाहन को ही मेडिकल ट्रिटमेंट देने लायक बनाया जाएगा, ताकि गोल्डन आवर में मरीज की जान बचाई जा सके। इस तरह पुलिस के जवान गोल्डन आवर में लाइफ सेवर बनेंगे। दरअसल रांची और आस-पास की सड़कों पर आए दिन दुर्घटना होती रहती है। इसमें लोगों की जान भी चली जाती है। कुछ लोगों की मौत सिर्फ इसलिए हो जाती है क्योंकि गोल्डन आवर यानी एक्सीडेंट के फौरन बाद उसे ट्रीटमेंट नहीं मिल पाता। एक्सीडेंट के फौरन बाद इलाज मिलने से चोटिल व्यक्ति के बचने की संभावना बढ़ जाती है। इसे देखते हुए ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मी दुर्घटना में घायल व्यक्ति को प्राथमिक उपचार दे सकेंगे। अब पुलिस की गाड़ी ही सड़क हादसों में घायल हुए लोगों को अस्पताल पहुंचाएगी, इलाज के लिए एम्बुलेंस का इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

पुलिस गाड़ी में ही प्राथमिक उपचार

पुलिस वाहनों में प्राथमिक इलाज की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही हैं। उनमें पोर्टेबल स्ट्रेचर से लेकर इलाज में जरूरी सामग्री मौजूद होगी। रिंग रोड और जहां ज्यादा दुर्घटनाएं होती हैैं, उन स्थानों पर पुलिस वाहनों को मेडिकल सुविधाओं से लैस किया जाएगा। इस पहल से दुर्घटना में घायल समय से अस्पताल पहुंच सकेंगे और समय पर उन्हें इलाज मिल सकेगा। व्यक्ति की जान बचाई जा सकेगी। आंकड़े कहते हंै सड़क दुर्घटनाओं में घायलों को गोल्डन आवर में ट्रिटमेंट मिलने से कई लोगों की जान बचाई गई है।

पहले पहुंचती है पुलिस

किसी भी सड़क दुर्घटना के समय सबसे पहले पुलिस ही मौके पर पहुंचती है। इसे देखते हुए ही यह निर्णय लिया गया है। इसकी शुरुआत पायलट प्रोजेक्ट के तहत की जा रही है। जल्द ही इसकी सफलता को देखते हुए इस प्रोजेक्ट को विस्तार दिया जाएगा। फिलहाल शुरुआत में पुलिस द्वारा सीएसआर फंड से 20 पोर्टेबल स्ट्रेचर खरीदा गया है। इसके अलावा गाउन व मेडिकल से संबंधित अन्य जरूरी चीजें मुहैया कराई जा रही हैं। गंभीर रूप से घायल हुए लोगों को पोर्टेबल स्ट्रेचर के जरिए अस्पताल पहुंचाना आसान होगा।

पुलिस कर्मियों को दी जाएगी ट्रेनिंग

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक घायलों को समय से अस्पताल पहुंचाने के लिए फोल्डिंग स्ट्रेचर की खरीदारी हो चुकी है। वहीं इसका इस्तेमाल कैसे करना है, इसकी भी जानकारी पुलिस कर्मियों को दी जाएगी। ट्रेनिंग के माध्यम से पुलिस के जवानों को प्रशिक्षित किया जाएगा। नेशनल हाईवे, संवदेनशील स्थान, घुमावदार घाटी, रिंग रोड आदि स्थानों पर पुलिस के जवान मेडिकल किट से लैस होकर मौजूद रहेंगे। एनएच में पडऩेवाले पुलिस स्टेशन के पुलिस कर्मियों को इस बाबत प्रशिक्षण दिया जाएगा। आपको बता दें कि बीते बुधवार को एडीजी अभियान संजय आनंद लाठकर व सड़क सुरक्षा कोषांग, डीआईजी सुनील भास्कर की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। बैठक में सड़क हादसों पर नियंत्रण को लेकर बात हुई थी। तय किया गया था कि हर थाने के तीन पुलिसकर्मियों को प्राथमिक उपचार की ट्रेनिंग दी जाए, ताकि सड़क हादसों में घायलों को समय से इलाज मिल सके।

हर दूसरे दिन हादसा

राजधानी रांची में हर दूसरे दिन रोड एक्सीडेंट होता है। बीते दो दिनों में तीन सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। इसमें तीन लोगों ने जान गवां दी। तीनदिन पहले मेन रोड में अनियंत्रित कार चालक ने स्कूटी सवार को टक्कर मार दी। जिसमें स्कूटी सवार की मौके पर ही मौत हो गई। उसके साथ दो बच्चे भी बैठे थे, जिनका इलाज अस्पताल में चल रहा है। वहीं कार चालक की भी मौत हो चुकी है। कार चालक को यदि गोल्डन आवर में मेडिकल ट्रीटमेंट मिलता तो उसकी जान बच सकती थी। रांची और आस-पास की सड़कों पर ज्यादातर दुर्घटनाएं तेज रफ्तार के कारण होती हैैं। रोड एक्सीडेंट में ज्यादातर युवा ही हादसे के शिकार होते हैं। रैश और नशे में ड्राइविंग करने की वजह से हादसा हो जाता है। ऐसे लोगों के लिए पुलिस को लाइफ सेवर के रूप में तैयार किया जा रहा हैै।

घायलों को समय पर इलाज मिल सके, इसके लिए हाईवे पर तैनात पुलिस कर्मियों को ट्रेंड किया जा रहा है। पुलिस वाहन में भी मेडिकल किट मौजूद रहेगा।

-नौशाद आलम, प्रभारी ट्रैफिक एसपी