रांची : भाद्रपद शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि पर 17 सितंबर को प्रकृति पर्व करमा उल्लासपूर्वक मनाया जाएगा। दिनभर उपवास रखकर रात आठ बजे करम देव की पूजा-अर्चना होगी। 18 सितंबर को पारण करने के बाद 19 सितंबर को विसर्जन किया जाएगा। करम पर्व की तैयारी को लेकर शुक्रवार को कचहरी परिसर स्थित आरटीआइ बि¨ल्डग में केंद्रीय सरना समिति एवं अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद की संयुक्त बैठक हुई। केंद्रीय सरना समिति के केंद्रीय अध्यक्ष फूलचंद तिर्की की अध्यक्षता में हुई बैठक में आमलोगों से अपील की गई कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए करम पर्व अपने-अपने गांव में ही मनाएं। पूजा कोविड 19 को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार ही करें। पूजा स्थल पर भीड़भाड़ न होने दें। फूलचंद तिर्की ने कहा कि करम आदिवासियों का महान पर्व है। इस त्यौहार के माध्यम से आदिवासियों की संस्कृति परंपरा को जीवित रखते हैं। आदिकाल से त्योहार मनायी जा रही है। अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद के अध्यक्ष सत्यनारायण लकड़ा ने राज्य सरकार से करम पूजा को लेकर विशेष दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की। कहा कि समय रहते निर्देश मिलना चाहिये ताकि आदिवासी समाज उसी अनुरूप पर्व की तैयारी करेंगे।

तीन दिनों का घोषित हो राजकीय अवकाश

बैठक में चार प्रस्ताव पास किए गए। केंद्रीय सरना समिति के महासचिव संजय तिर्की ने कहा कि करम पर देश-विदेश से लोग आते हैं। तीन दिनों तक पर्व मनाया जाता है पर्व की महत्ता को देखते हुए राज्य सरकार तीन दिनों का राजकीय अवकाश घोषित करें। सभी अखाड़ों की साफ सफाई करायी जाए। पूजा के दिन पूर्ण शराबबंदी हो, प्रत्येक थाना क्षेत्र में शांति समिति की बैठक करायी जाए। बैठक में केंद्रीय सरना समिति के संरक्षक भुनेश्वर लोहरा, भगत उरांव, ललित कच्छप, उपाध्यक्ष प्रशांत टोप्पो, प्रमोद एक्का, सचिव विनय उरांव, बुन्ना बाखला, कृष्णा उरांव, अनिल टोप्पो, सूरज तिग्गा, अभिषेक कुमार आदि थे।