रांची(ब्यूरो)। सिटी में वैसे तो कई विकास योजनाएं चल रही हैं। लेकिन समस्या यह है कि सालों साल ये योजनाएं बस चल ही रही हैं, पूरी होने का नाम ही नहीं ले रही हैं। रांची वासियों को इंतजार है कि कब काम पूरा हो और उस योजना का लाभ उन्हें मिल सके। सिटी में चलने वाली कुछ योजनाओं का हाल तो पंचवर्षीय योजनाओं से भी बुरा है। कोई योजना 15 साल तो कोई दस साल से चल रही है। आज भी लोगों को उसके पूरा होने का इंतजार ही है। ऐसी ही कुछ योजनाओं पर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट एक सीरिज की शुरूआत करने जा रहा है, जिसमें मुख्य रूप से यह बताने का प्रयास किया जाएगा कि योजना की शुरूआत कब हुई, कितना काम हुुआ और योजना का उद्देश्य क्या है। अभियान के पहले दिन हम बात करेंगे सीवरेज-ड्रेनेज सिस्टम की।

40 किमी सीवर लाइन बाकी

राजधानी रांची में करीब 15 साल पहले इस योजना पर काम शुरू हुआ था। लेकिन समय के साथ-साथ योजना के पूरा होने का इंतजार भी बढ़ता जा रहा है। इस योजना के पहले चरण का काम खत्म होने की डेडलाइन इसी महीने तय थी। लेकिन यह डेडलाइन भी फेल हो चुकी है। अब एक बार फिर से इसमें एक्सेटेंशन देने की कवायद शुरू कर दी गई है। फस्र्ट फेज का काम 2018 में शुरू हुआ था, लेकिन अबतक सिर्फ 60 परसेंट ही काम हो सका है। पहले चरण के अंतर्गत एलसी इंफ्रा को कुल 120 किमी सीवर लाइन बिछाने की जिम्मेवारी मिली थी। इसके अलावा एसटीपी यानी की सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाना था। लेकिन अबतक 70 किमी ही सीवर लाइन बिछाई जा सकी है। 40 किमी बिछाने का अब भी इंतजार ही हो रहा है।

एनओसी के चक्कर में उलझी योजना

दरअसल, एनएचएआई और सीसीएल के एनओसी नहीं मिलने के कारण काम बीच में ही बंद कर दिया गया है। कांके रोड में सीसीएल, बरियातू में रोड कंस्ट्रक्शन डिपार्टमेंट और बूटी मोड़ से आगे एनएचएआई ने मेन लाइन बिछाने के लिए एनओसी नहीं दिया है। इस कारण काम आगे नहीं बढ़ पा रहा है। वहीं, बडग़ाई की लेम बस्ती में एसटीपी तैयार है। लेकिन नगर निगम की सुस्ती के कारण इसका ट्रायल नहीं लिया जा सका है। नगर निगम ने इसके लिए अबतक बिजली का कनेक्शन ही नहीं लिया है। एनओसी के साथ-साथ जमीन अधिग्रहण भी इसमें बाधा बन रही है। एसटीपी तक जाने वाली पाइप लाइन का काम भी सिर्फ इसलिए रुक गया है कि अबतक विभाग ने जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं की है।

दो कंपनिया चली गईं, काम पूरा नहीं

करीब 16 साल पहले सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की योजना बनी थी। साल 2007 में मैनहर्ट ने शहर को चार जोन में बांटकर सीवरेज-ड्रेनेज प्रोजेक्ट की डीपीआर तैयार की थी। लेकिन विवादों मेें फंसने के कारण काम शुरू नहीं हो सका। सात साल बाद यानी 2014 में फिर एक बार प्रोजेक्ट में संशोधन करते हुए 210 किमी सीवर लाइन बिछाने का निर्णय लिया गया। 2015 में इस काम की जिम्मेवारी ज्योति बिल्डकॉन को सौंपी गई। पहले चरण में नौ वार्ड में सीवर लाइन बिछाने के लिए 356 करोड़ का टेंडर एजेंसी को दिया गया। दो वर्ष में काम पूरा होना था। लेकिन तीन बार एक्सटेंशन लेने के बाद भी एजेंसी काम पूरा नहीं कर सकी। इसके अलावा उस पर अनियमितता के आरोप भी लगे, जिसे देखते हुए कंपनी को टर्मिनेट करते हुए इसकी जिम्मेवारी एलसी इंफ्रा को दे दी गई है। लेकिन अलग-अलग कारणों से काम में अड़चन आ ही रही है और इंतजार लंबा होता जा रहा है।

क्या होंगे फायदे

सीवरेज-ड्रेनेज का काम रांची नगर निगम के सभी 53 वार्ड में होना है। इसके लिए चार जोन में बांटकर काम हो रहा है। पहले फेज में वार्ड संख्या एक से पांच और 30 से 33 तक काम हो रहा है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने पर मुहल्लों, कॉलोनियों और बस्तियों में स्थित घरों में सेप्टिक टैंक की उपयोगिता खत्म हो जाएगी। घर में बने मल चैंबर की पाइप से सीधे सीवर लाइन से जोड़ दिया जाएगा, जिससे सेप्टिक टैंक भरने की चिंता ही खत्म हो जाएगी। इसे साफ कराने की जरूरत भी नहीं होगी।

एनओसी के कारण प्रोजेक्ट को पूरा होने में समय लग रहा है। संबंधित डिपार्टमेंट के प्रतिनिधियों के साथ बैठक हुई है। जल्द ही इसका निराकरण कर लिया जाएगा।

-शशि रंजन, नगर आयुक्त, रांची