RANCHI:रांची के डोरंडा कॉलेज में भी अमानत की पढ़ाई की मंजूरी मिल गई है। कॉलेज को इस कोर्स की शुरुआत के लिए इस शर्त के साथ इजाजत दी गई है कि वह खुद कोर्स खत्म होने पर स्टूडेंट्स को सर्टिफिकेट जारी करेगा। इसकी मंजूरी शुक्रवार को रांची यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल की बैठक में दी गई। इसके साथ ही काउंसिल ने 18 प्रस्तावों पर मुहर लगाई।

अब टीआरएल के नौ विभाग

रांची विश्वविद्यालय के पीजी टीआरएल की सभी नौ जनजातीय भाषाओं के लिए अलग-अलग विभाग बनाया जाएगा। डीन भी अलग होंगे जबकि अभी सभी भाषाओं के लिए एक ही एचओडी होंगे। नामांकन प्रक्रिया जुलाई के अंतिम सप्ताह तक आरंभ हो जाएगा। नामांकन चांसलर पोर्टल के माध्यम से होगा। प्रथम दो सत्र में नामांकन प्रक्रिया सरल होगी। दो सत्रों में किसी भी विषय से ग्रेजुएशन पास विद्यार्थी भाषा से पीजी कर सकते हैं। शुक्रवार को विवि परिसर में कुलपति डॉ कामिनी कुमार की अध्यक्षता में आयोजित एकेडमिक काउंसिल की बैठक में इसपर मुहर लगी।

आखिर कैसे होगी पढ़ाई

पीजी टीआरएल विभाग में नौ जनजातीय एवं क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई होती है। इसमें पांच जनजातीय भाषा और चार क्षेत्रीय भाषा है। इसमें खोरठा, कुडुख, कुरमाली, नागपुरी, संताली, मुंडारी, पंच परगनिया, हो और खडि़या शामिल हैं। फिलहाल ये मानविकी संकाय के अंतर्गत संचालित होता है। टीआरएल की सात भाषाओं में संताली, हो, मुंडारी, खडि़या, कुरमाली, खोरठा व पंचपरगनिया शामिल हैं। इन भाषाओं के शिक्षकों के रिटायर हो जाने के बाद उनकी जगह पर नई नियुक्ति नहीं हुई है। कुल शिक्षकों की बात की जाये तो नौ भाषाओं में सिर्फ तीन टीचर हैं। इनमें से एक डॉ टीएन साहू विवि में प्रॉक्टर हैं। नौ भाषाओं में सिर्फ दो शिक्षक बचे हैं। इस बाबत पूछने पर उपकुलसचिव डॉ प्रीतम कुमार ने बताया कि कालेजों के सीनियर शिक्षकों को जिम्मेदारी दी जाएगी।

पेपरलेस संस्कृति पर फोकस

कुलपति डॉ कामिनी कुमार की पहल पर पहली बार पॉवर प्वाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से एकेडमिक काउंसिल की बैठक संचालित की गई। बैठक के दौरान कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय अब डिजिटलाइजेशन और पेपरलेस ऑफिस की अवधारणा के उद्देश्य से काम करेगा। आगे से प्रयास होगा कि बैठकों के एजेंडा सदस्यों को ई मेल के माध्यम से उपलब्ध कराया जाए। इससे न सिर्फ पेपर और मैनपावर की बचत होगी बल्कि सभी सदस्य इस कारण इलेक्ट्रॉनिक संसाधनों का उपयोग कार्यालय कार्यों के लिए करने को धीरे-धीरे आदी हो जाएंगे।

बैठक में ये रहे उपस्थित

कुलसचिव डॉ मुकुंद चंद मेहता, छात्र संकायाध्यक्ष डॉ आर के शर्मा, विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ ज्योति कुमार, कॉमर्स संकायाध्यक्ष डॉ जीपी त्रिवेदी, मानविकी संकायाध्यक्ष डॉ बनानी, चिकित्सा संकायाध्यक्ष डॉ कश्यप, अभियांत्रिकी संकायाध्यक्ष, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा, सहायक कुलसचिव राजीव कुमार सिंह आदि।

इन मुद्दों पर भी हुई बात

1. पीपीके कॉलेज, बुंडू ने सभी विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरु करने का अनुरोध किया। बैठक में सिर्फ उसी विषयों में पीजी की पढ़ाई की स्वीकृति जिसमें दो स्थायी शिक्षक हैं।

2. एमएससी इनवायरेनमेंटल साईंस के पाठ्यक्रम के अनुरूप होगी रांची विवि में भी पढ़ाई।

3. सिमडेगा कॉलेज में ¨हदी, इतिहास, राजनीति शास्त्र, मानव विज्ञान, अर्थशास्त्र, भूगोल, खडि़या, नागपुरी एवं मुंडारी में पीजी की पढ़ाई की मिली स्वीकृति। जबकि डोरंडा कॉलेज में पंचपरगनीया से होगी पीजी की पढ़ाई।

4. जेएन कॉलेज धुर्वा में नागपुरी से पीजी और कुड़ूख भाषा से ग्रेजुएशन की होगी पढ़ाई। आरएलएसवाई कॉलेज में खारठा से ग्रेजुएशन को मिली स्वीकृति।