रांची (ब्यूरो)। रांची यूनिवर्सिटी ने रिसर्च में नकल रोकने के लिए एक अनोखा प्रस्ताव पास किया है। अब पीएचडी करने वाले स्कॉलर्स को लिखकर देना होगा कि उन्होंने थीसिस की चोरी नहीं की है। बुधवार को प्लेगिरिल्जम चेक से संबंधित प्रस्ताव पर रांची यूनिवर्सिटी एकेडमिक काउंसिल ने मुहर लगा दी। इस प्रस्ताव के पास होने के साथ ही अब पीएचडी थिसिस के साथ रिसर्च करने वालों को अकादमिक चोरी निरोध का प्रमाण पत्र अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।

दो विभागों के नाम बदले

काउंसिल ने कई प्रस्तावों पर चर्चा के बाद मंजूरी दी। इसके तहत रांची यूनिवर्सिटी के पीजी डिपार्टमेंट ऑफ मास कम्युनिकेशन और आर्कियोलॉजी एंड म्यूजियोलॉजी के नाम में बदलाव किया गया है। अब क्रमश: स्कूल ऑफ मास कम्युनिकेशन और स्कूल ऑफ आर्कियोलॉजी-म्यूजियोलॉजी के नाम से उक्त दोनों विभाग जाने जाएंगे। बुधवार को वीसी प्रो कामिनी कुमार की अध्यक्षता में एकेडमिक काउंसिल की बैठक हुई। वहीं पीजी जियोलॉजी का नाम स्कूल ऑफ अर्थ प्लाटेनरी साइंस रखने से संबंधित प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया। वजह यह बताई गई कि नाम बदल जाने के यहां से पास आउट छात्रों की डिग्री पर सवाल उठते। इससे छात्रों को परेशानी बढ़ जाती। इतना ही नहीं शिक्षकों के सभी पद जियोलॉजी विभाग के नाम से सृजित हैं।

बिरसा कॉलेज का प्रस्ताव खारिज

इसी प्रकार बिरसा कॉलेज खूंटी में स्नातक स्तर पर तीन विषयों की पढ़ाई शुरू करने के लिए प्रस्ताव भेजा गया था, जिसे रिजेक्ट कर दिया गया है। बिरसा कॉलेज खूंटी द्वारा स्नातक स्तर पर तीन विषयों की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव भेजा गया था। इसमें सोशियोलॉजी, संस्कृत और एंथ्रोपोलॉजी विषय शामिल थे। इस पर एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों ने कहा कि पढ़ाई शुरू करने से पहले तीनों विषयों के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों का पद सृजन जरूरी है। इसलिए बिरसा कॉलेज प्रबंधन को पद सृजन के साथ तीनों विषयों की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया।

सिलेबस भेजे जियोलॉजी

पीजी जियोलॉजी विभाग द्वारा तीन नए सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव पर एकेडमिक काउंसिल के सदस्यों ने चर्चा की। कहा कि एन्वायरमेंट इंपैक्ट एसेसमेंट, डिजास्टर मैनेजमेंट और जियोथर्मल एनर्जी कोर्स शुरू करने के प्रस्ताव के साथ सिलेबस नहीं है। इसलिए विभाग को सिलेबस और संचालन रेगुलेशन के साथ प्रस्ताव भेजने के लिए कहा गया है। काउंसिल की बैठक में वीसी के अलावा डीएसडब्ल्यू डॉ राजकुमार शर्मा, परीक्षा नियंत्रक डॉ आशीष कुमार झा, रजिस्ट्रार डॉ मुकुंद मेहता, डीआर डॉ प्रीतम कुमार, डीन, एचओडी समेत विभिन्न कॉलेजों के प्रिंसिपल मौजूद थे।

इन एजेंडों को मिली मंजूरी

1. मास कम्युनिकेशन विभाग के तीन वर्षीय, दो वर्षीय और एक वर्षीय पीजी डिप्लोमा कोर्स के सिलेबस को स्वीकृति प्रदान की गई।

2. रिम्स के एकेडमिक कमिटी में नौ मार्च और 14 सितंबर 2021 को लिए गए निर्णयों को स्वीकृति मिली।

3. आरयू के सभी पीजी विभागों के बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा सिलेबस संशोधन के प्रस्ताव स्वीकृत