रांची(ब्यूरो)। अक्सर शिक्षक यह गलती कर बैठते हैं कि वह बच्चों को अपनी उम्र के लिहाज से आंकने लगते हैं, बच्चों व शिक्षकों के बीच का गैप मनोवैज्ञानिक होता है। उन्हें बेहतर ढंग से पढ़ाना है तो पहले बच्चा बनकर सोचना होगा। बच्चों को क्या पसंद है, यह जब आप अपना बचपन याद करेंगे तो खुद ब खुद बच्चों को पढ़ाने का या उन्हें समझने का एक नया नजरिया विकसित हो जाएगा। यही आपको भीड़ से अलग करेगा। यह बातें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट तथा अमृता विश्वविद्यापीठम की ओर से आयोजित री इमेजिनिंग एजुकेशन वर्कशॉप के दौरान मशहूर ट्रेनर शालिनी सिन्हा ने कहीं।

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित यह प्रोग्राम हम टीचर्स के लिए बहुत उपयोगी रहा। हम टीचर्स को नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के बारे में जानना बहुत जरूरी है। हम अगर इस पॉलिसी के बारे में अच्छे से जान जाते हैं तो पढ़ाने में, कोर्स को समझने में बहुत मदद मिलेगी। यह बहुत उपयोगी सेशन रहा। यह कैसे काम करता है इसके फायदे क्या हैं, यह जानकारी मिली।
-कविता वर्मा, वीपी, आर्मी पब्लिक स्कूल, रांची


दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से आयोजित इस कार्यशाला में बहुत कुछ नया सीखने को मिला है। इस तरह की प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने से बहुत सारी नई जानकारियां मिलती हैं। इस कार्यशाला ने मुझे अलग तरह से सोचने के लिए मौका उपलब्ध कराया। मुझे नई शिक्षा नीति के बार में भी कई नई जानकारियां मिलीं।
-निशा राय, टीचर, आर्मी पब्लिक स्कूल, रांची


यह बहुत नॉलेज वाला सेशन रहा। दूसरे स्कूलों के टीचर्स के साथ भी इंट्रैक्शन हुआ। इस कार्यशाला में कई नई जानकारियां मिलीं। बहुत सारी ऐसी जानकारी मिली जिसके बारे में मुझे कुछ भी पता नहीं था। नई एजुकेशन पॉलिसी की जानकारी हम शिक्षकों को होना अधिक जरूरी है।
शबनम परवीन, टीचर, छोटानागपुर पब्लिक स्कूल, रांची

दैनिक जागरण आईनेक्स्ट का यह सेशन बहुत कुछ नया जानकारी उपलब्ध कराया। इस सेशन से मुझे यह सीखने को मिला कि वास्तव में एक शिक्षक को कैसा होना चाहिए। बहुत सारी नई चीजों की जानकारी नहीं थी। इस सेशन से अपडेट होने का मौका मिला।
-सुनिता कुमारी, टीचर, छोटानागपुर पब्लिक स्कूल, रांची