रांची (ब्यूरो): दरअसल राजधानी रांची में चोर गिरोह के सरगना बच्चों से मोबाइल फोन की चोरी करवा रहे हैैं। कैसे और किस जगह से फोन टापना है, फोन चोरी करने के बाद उसका क्या करना है, पकड़े जाने पर क्या करना है, बच्चों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है। बीते दिनों मोबाइल चोरी कराने वाला गिरोह का एक सदस्य पुलिस के हाथ चढ़ा, जिसने कई खुलासे किए।

लगाई जाती है नशे की लत

बच्चों को चोरी के लिए ट्रेनिंग देने से पहले उसे नशे की लत लगाई जाती है। 10-15 साल के बच्चे व किशोरों के लिए डेंड्राइट और व्हाइटनर उपलब्ध कराया जाता है। बच्चे जब नशे के आदी हो जाते हैं, तो उनकी जरूरत पूरा करने के लिए उनसे चोरी कराई जाती है। सुखदेव नगर थाना क्षेत्र से गिरफ्तार शख्स ओम प्रकाश ने बताया कि बच्चों पर लोग शक नहीं करते और वे मोबाइल फोन की चोरी कर आसानी से भागने में सफल रहते हैं। ब'चों द्वारा लाए गए मोबाइल फोन के मॉडल के अनुसार उन्हें कुछ पैसे और नशे का सामान दिया जाता है। साथ ही मोबाइल फोन में गेम खेलने के लिए भी दिया जाता है।

ग्रामीण इलाकों में बेचते हैैं

चोरी के फोन कुछ दिन बंद रखने के बाद इसे ग्रामीण इलाकों में बेच दिया जाता है। मुहल्ले में आर्थिक रूप से कमजोर ब'चे जो कचरा चुन कर या भीख मांग कर जीवन यापन करते है। ऐसे ब'चों को मोबाइल फोन, नशा और पैसे की लत देकर चोरी कराई जाती है। मोबाइल चोरी करने के बाद दूसरे साथी को देकर कपड़े बदल दूसरे जगह चले जाते हैं।

नहीं बता पाते सरगना का नाम

ब'चों से चोरी कराने का मकसद यह भी है कि ब'चे किसी का नाम नहीं बता पाते है। उन्हें किसी तरह का टार्चर भी नहीं किया जाता है। पकड़े गए तो बाल सुधार गृह विभाग भेज दिया जाता है। पुलिस भी ज्यादा पूछताछ नहीं करती है। सिर्फ ग्रामीण क्षेत्र ही नहीं बल्कि बॉर्डर पार भी चोरी के मोबाइल फोन खपाए जा रहे हैं। बांग्लादेश, नेपाल तक रांची से चोरी किया गया मोबाइल फोन पहुंच रहा है। साहिबगंज के एक गिरोह का मोबाइल फोन चोरी में पहले भी पर्दाफाश होता रहा है।

पुलिस की सूचना पर एक शख्स की गिरफ्तारी हुई है। गिरफ्तार व्यक्ति ने कई राज उगले हैं। ब'चों से चोरी कराने की बात भी स्वीकार की है। आरोपी को जेल भेज दिया गया है।

-ममता कुमारी, थाना प्रभारी, सुखदेव नगर थाना