RANCHI:राजधानी रांची को स्मार्ट सिटी का दर्जा मिला है, जहां पर विकास के काम भी चल रहे हैं। लेकिन विकास में जरूरी सुविधाओं का ध्यान नहीं रखा गया है। स्थिति यह है कि वार्ड नंबर 13 केतारी बागान स्थित रोड नंबर 11 में नाली निर्माण नहीं होने के कारण रोड बर्बाद हो चुका है। खराब रोड के कारण 3 हजार लोग अपने घरों से बाहर निकलने से पहले कई बार सोचते हैं। वहीं लोगों को न चाहते हुए भी नाले में डूबकर ही अपने काम पर जाना होता है। इसे लेकर वहां रहने वाले लोगों ने कई बार पार्षद से गुहार लगाई। नाला और सड़क का निर्माण कराने की अपील भी की। लेकिन कोई भी लोगों की समस्या झांकने तक नहीं आया। आज बेमौसम बीच सड़क में ही तालाब जैसी स्थिति बनी हुई है।

किराए का मकान होता तो बदल लेते

तीन हजार की आबादी इस रोड के सहारे है, जहां घर तो बन गए और दुकानें भी खुल गईं। लेकिन निगम इतने सालों में आजतक एक नाली भी नहीं बना पाया तो सड़क दूर की बात है। अब इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ रहा है। लोग तो यही कहते हैं कि किराए का मकान होता तो बदल भी लेते। लेकिन अपना घर है तो छोड़कर जा भी नहीं सकते। इसलिए मजबूरी में इस हाल में रहना पड़ रहा है।

क्या कहते हैं लोग

नगर निगम के लोगों को शहर में घूमकर देखना चाहिए। इसमें सबसे बड़ा रोल तो पार्षद का है, जिसे अपने इलाके की समस्या के बारे में पता होना चाहिए। इतना ही नहीं, समस्या का समाधान करने के लिए भी उन्हें आगे आना होगा। चूंकि पब्लिक के लिए तो वे ही प्रतिनिधि हैं। अगर वे लोग समस्या का समाधान नहीं करेंगे तो कौन करेगा।

उदय कुमार यादव

समस्या एक दिन की हो तो बात समझ आती है। लेकिन हमारे एरिया में तो सालों भर एक जैसी स्थिति रहती है। क्या जाड़ा, क्या गर्मी और क्या बरसात। नगर निगम के अधिकारियों और पार्षद को जब पता ही नहीं होगा तो इलाके का विकास कैसे होगा। पार्षद को बताने पर भी वो अनदेखी करते हैं। अमर कुमार

जिस तरह से नाली और रोड का निर्माण नहीं कराया गया है। उससे तो यही लगता है कि जान-बूझकर इलाके को छोड़ दिया गया है। अगर विकास की इतनी चिंता होती तो सालों से नर्क वाली स्थिति नहीं रहती। खुद से हमलोग तो यहां पर सफाई कराते हैं। लेकिन हमेशा यह कर पाना हमारे लिए संभव नहीं है।

रमेश शर्मा

अगर निगम एक-एक कर भी नाली और रोड बनाए तो हर इलाके की व्यवस्था सुधर जाएगी। लेकिन न तो इससे पार्षद को मतलब है और न ही नगर निगम को। इस रास्ते में कार वालों को तो दिक्कत नहीं होती। लेकिन बाइक वाले और पैदल चलने वालों के लिए नर्क से कम नहीं है।

माखन पाठक