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स्लग: शर्मा मोड़ से क्वार्टर डीटी 132 तक 200 फीट ब्लैक रोड में 100 केजी पॉलीथिन की खपत

-वार्ड 40 के धुर्वा में बनाई जा रही 2500 फीट प्लास्टिक से सड़क

-प्लास्टिक से शहर को मुक्त बनाने की पहल

बीआइटी के स्टूडेंट ने दिया था प्ररेजेंटेशन
बीआइटी मेसरा के रोहित तिवारी सिविल इंजीनियरिंग स्टूडेंट हैं। जमशेदपुर ट्रेनिंग के दौरान उन्होंने रोड बनाने में प्लास्टिक का यूज करते हुए देखा था। इसके बाद रोहित की देखरेख में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत ओरमांझी में एक किलोमीटर रोड बनाने में प्लास्टिक का यूज किया गया। बाद में उन्होंने रांची नगर निगम में एक प्रेजेंटेशन भी दिया था, जिस पर अधिकारियों ने अपनी सहमति दे दी थी।

8-10 परसेंट कम आएगा खर्च
ब्लैक रोड बनाने में करोड़ों रुपए खर्च आता है। लेकिन प्लास्टिक का यूज करने से इसके निर्माण में 8-10 परसेंट खर्च कम हो जाएगा। ऐसे में वेस्ट जाने वाला प्लास्टिक को यूज किया जा सकेगा। साथ ही रोड की उम्र भी दोगुनी हो जाएगी। चूंकि रोड में यूज किया जाने वाला बिटुमिन महंगा होता है।

प्लास्टिक के यूज से मजबूत होगा रोड
रोड के निर्माण में मेटल स्टोन और बिटुमिन का यूज होता है। ऐसे में प्लास्टिक के टुकड़े को बिटुमिन के साथ ही मशीन में मिक्स करने के लिए डाला जाएगा और स्टोन पर एक लेयर बन जाएगा। जब मिक्सचर को रोड में डाला जाएगा तो प्लास्टिक से स्टोन और मजबूती से चिपक जाएगा।

प्लास्टिक बॉटल व पीवीसी पाइप का यूज नहीं
रोड बनाने के लिए हर तरह के प्लास्टिक का यूज किया जा सकता है। किसी भी तरह का पॉलीथीन बेकार नहीं होगा। लेकिन रोड बनाने के लिए प्लास्टिक के बोतल और पीवीसी पाइप का यूज नहीं किया जा सकेगा।

यार्ड में लगाई जाएगी श्ोडर मशीन
झिरी स्थित डंपिंग यार्ड में ही सिटी से निकलने वाला कचरा डंप किया जाता है। इसमें प्लास्टिक और अन्य वेस्टेज भी होते हैं। ऐसे में प्लास्टिक को कचरे से अलग किया जाएगा और प्लास्टिक को काटने के लिए श्रेडर मशीन लगाई जाएगी, ताकि प्लास्टिक को चार मिमी के साइज में काटा जा सके।