RANCHI: रुक्का वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को आउटसोर्सिग पर देने की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने निर्णय लिया है कि वाटर ट्रीटमेंट प्लान के रखरखाव में सरकारी मशीनरी पूरी तरह फेल हो चुकी है, इसलिए अब इसकी आउटसोर्सिग कर इसके रखरखाव की जिम्मेदारी निजी कंपनी को दे दी जाए। निजी कंपनियों के कर्मियों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के रखरखाव, साफ-सफाई के साथ-साथ शहर में होने वाली जलापूर्ति को ध्यान में रखते हुए पाइपलाइन की भी रखरखाव करनी है। उल्लेखनीय है कि रुक्का से पानी की सप्लाई को लेकर लगातार समस्याएं आ रही हैं, जिसके कारण पानी की सप्लाई बाधित हो रही है। लोगों को काफी समस्याएं हो रही हैं।

सालाना एक करोड़ तक खर्च

निजी कंपनियों को वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के रखरखाव और पाइपलाइन की मरम्मत के लिए करीब 75 लाख से लेकर एक करोड़ तक दिए जाएंगे। जरूरत के अनुसार, इस खर्च में बदलाव की भी संभावना है। कंपनियों के कर्मियों पर शहरी जलापूर्ति की पूरी जिम्मेदारी रहेगी और उसे किसी भी स्थिति में प्रभावित होने नहीं दिया जाएगा।

कई दिनों ठप रही पानी सप्लाई

जून में रुक्का डब्ल्यूटीपी द्वारा पानी सप्लाई काफी दिनों तक ठप रही, जिसके कारण लोगों में काफी रोष रहा। भीषण गर्मी में भी पानी नहीं मिलने के कारण पीने के पानी का भंयकर संकट उत्पन्न हो गया। इस संबंध में सीएम के जनसंवाद कार्यक्रम में भी शिकायत की गई, लेकिन बिजली की आपूर्ति में बाधा और प्लांट की समस्याओं के कारण काफी मुश्किल से पानी की सप्लाई की गई।

चापानल व हैंडपंप के लिए टॉल फ्री नंबर जारी

पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने शहरी तथा ग्रामीण इलाकों में स्थित चापानल और हैंडपंप जो खराब हालत में हैं, उनकी जानकारी के लिए टोलफ्री नंबर जारी किया है। क्षेत्र में पानी की समस्या से संबंधित किसी भी तरह की शिकायत इस टोलफ्री नम्बर 18003456702 पर की जा सकती है।

वर्जन

प्लांट की आउटसोर्सिग कर मैनपावर की कमी को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। हमारी कोशिश है कि लोगों को निर्बाध जलापूर्ति संभव हो सके। साथ ही साफ सफाई की भी पुख्ता व्यवस्था हो। मैनपावर की कमी के कारण अभी बेहतर तरीके से प्लांट के संचालन में समस्याएं आ रही हैं ।

वज्र मोहन कुमार, प्रशासक, स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट

क्या कहती है पब्लिक

लोगों को पानी चाहिए इसके लिए चाहे किसी भी तरह का प्रयोग किया जाए, ठीक रहेगा। लेकिन यदि पेयजल विभाग को ऐसा कुछ करना था तो गर्मी के मौसम से पहले करना चाहिए था, क्योंकि पूरी गर्मी पानी की भयंकर किल्लत झेलनी पड़ी।

ओमप्रकाश

निजी कंपनियों के हाथ में जाने से संभव है कोई सुधार हो, क्योंकि सरकारी विभाग के हाथ में जो भी कार्य हैं उससे जनता को कोई लाभ नहीं प्राप्त हो पाता, बल्कि लोग उल्टा परेशान ही होते हैं। इसलिए संभव है कि इस प्रयास से लोगों को पानी आसानी से प्राप्त हो।

विकास सिन्हा