RANCHI: सदर हॉस्पिटल के ऐतिहासिक भवन के इनडोर में फिलहाल ताला लग गया है। लेकिन अंग्रेजों के जमाने में बनी इस धरोहर को बचाने को लेकर हेल्थ डिपार्टमेंट रेस है, जिसके तहत इस बिल्डिंग में नए डिपार्टमेंट शुरू करने की तैयारी की जा रही है। इतना ही नहीं, मरीजों को एक ही छत के नीचे बेहतर सुविधाएं देने की योजना बनाई गई हैं, जिससे कि मरीजों को हॉस्पिटल के बाहर जाने की नौबत ही नहीं आएगी। वहीं मरीजों और परिजनों को दौड़ लगाने के झंझट से भी छुटकारा मिल जाएगा।

1924 में बनी थी सदर हॉस्पिटल की बिल्डिंग

924 में बनी सदर हॉस्पिटल की हेरिटेज बिल्डिंग में 80 बेड पर मरीजों का इलाज होता था। जहां एक समय में यह हॉस्पिटल सिटी के लोगों के लिए लाइफलाइन भी साबित हो रहा था। लेकिन समय बीतने के साथ बिल्डिंग का कुछ हिस्सा ढह गया। हालांकि, मुख्य भवन को बचाकर रखा गया है। जहां पर महिला वार्ड और पुरुष वार्ड चल रहे थे। लेकिन नई बिल्डिंग बनने के बाद सभी इनडोर वार्ड को उसी में शिफ्ट किया गया।

अल्ट्रासाउंड सेंटर में होगी जांच

हेरिटेज बिल्डिंग में अल्ट्रासाउंड सेंटर को शिफ्ट किए जाने की योजना बनाई गई है, जहां पर मरीजों को पहले से ज्यादा हाईटेक सुविधाएं मिलेंगी। वहीं मरीजों के बैठने के लिए भी जगह होगी। इसके अलावा कोल्ड चेन को भी हेरिटेज बिल्डिंग में शिफ्ट किया जाएगा, जिससे कि हॉस्पिटल में ही लाइफ सेविंग दवाएं अवेलेबल होंगी।

हर दिन आते हैं 1000 मरीज हॉस्पिटल में

सुपरस्पेशियलिटी सदर हॉस्पिटल के चालू हो जाने से मरीजों का भरोसा बढ़ा है। यही वजह है कि हर दिन ओपीडी में लगभग एक हजार मरीज इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। वहीं नई विंग शुरू होने के बाद मरीजों की संख्या और बढ़ने की उम्मीद जताई गई है। सेपरेट पेडियाट्रिक वार्ड होने से न्यू बॉर्न बेबी को भी जीवनदान मिल रहा है।

अलग-अलग इनडोर होने से डॉक्टरों व मरीजों को परेशानी हो रही थी। इस वजह से सभी इनडोर वार्ड को एक ही छत के नीचे शिफ्ट कर दिया गया। जिससे कि मरीजों को राहत मिलेगी। पुरानी बिल्डिंग को बंद करने की कोई योजना नहीं है। बस इनडोर और इमरजेंसी को फिलहाल बंद किया गया है।

डॉ। एस मंडल, डीएस, सदर हॉस्पिटल