रांची(ब्यूरो)। रांची जिला संतमत सत्संग समिति के तत्वावधान में महर्षि मेंही आश्रम, चुटिया में चल रहे पक्ष ध्यान साधना शिविर के 12वें दिन के सत्संग में प्रवचनकर्ताओं ने मानव शरीर की उपादेयता पर प्रकाश डाला। देवभूमि ऋषिकेश से आये स्वामी पूज्य श्रीगंगाधरजी महाराज ने सत्संग में उपस्थित श्रद्धालुओं से कहा कि मानव शरीर को पाने के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। मानव-तन प्राप्त कर प्रभु का भजन करना चाहिए। इस शरीर में सभी देवता, सभी तीर्थ व सभी विद्याएं विद्धमान हैं। मानव तन प्राप्त कर हमें इसे सिर्फ विषयों में नहीं लगाना चाहिए, वरन निर्विषय तत्व को प्राप्त करने का प्रयत्न करना चाहिए। भगवान श्रीराम ने भी अपनी प्रजा को यही उपदेश दिया था।
जरूरतमंदों की सेवा करें
महर्षि मेंही आश्रम, चुटिया के मुख्य स्वामी पूज्य श्री निर्मलानंद जी महाराज ने कहा कि मानव तन की उपादेयता प्रभु भजन में है। इस शरीर में स्वर्ग, नरक और मोक्ष में जाने का मार्ग है। गुरु युक्ति से साधन कर साधक मोक्ष को प्राप्त कर सकते हैं। आगे उन्होंने कहा कि परमात्मा की सृष्टि में मानव तन सबोत्कृष्ट है। इसको प्राप्त कर हम सबों को परमात्मा की भक्ति करने के साथ-साथ अपने माता-पिता, समाज व देश की सेवा अवश्य करनी चाहिए। जहां तक बन पड़े दीन-हीन व्यक्तियों की सहायता करना मानव-मात्र का परम कत्र्तव्य होना चाहिए। मौके पर करीब साठ साधक ध्यानाभ्यास कर रहे हैं। साथ ही सैंकड़ों श्रद्धालु सत्संग लाभ ले रहे हैं।