रांची(ब्यूरो)। कंक्रीट के जंगल में बदल रही रांची को फिर से हरा-भरा बनाने की कवायद चल रही है। रांची नगर निगम ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है। नगर निगम अब शहर के सभी 53 वार्डों में खाली पड़े स्थानों पर पौधे लगवाएगा। ये पौधे सरकारी जमीन पर लगाए जाएंगे। इसके लिए निगम ने पिटसी और पर्वतीय दुर्गम शिक्षा विकास समिति को जिम्मेवारी दी है। इन दोनों संस्थाओं के बीच वार्ड का बंटवारा कर दिया गया है। संस्थाएं अगले तीन साल तक खाली जमीन पर पौधे लगाएंगी और उनकी सिंचाई भी करेगी। पौधे जिंदा रहेंगे तो उन्हें एक पौधे का 2600 रुपए मिलेगा। इस हिसाब से रांची में हरियाली लौटाने पर करीब 26 करोड़ फूंके जाने की तैयारी है। इतने पैसों में पौधा लगाने, नियमित खाद-पानी देने और स्टील के गैबियन भी लगाना होगा। इस काम में कोई गड़बड़ी न हो इसलिए जीपीएस टैगिंग की जाएगी।

एक लाख पौधे लगाने का है लक्ष्य

शहर में एक लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए जमीन चिन्हित की जा रही है। सभी वार्डों में उपलब्ध सरकारी जमीन पर ही पौधे लगाने की मंजूरी दी गई है। यदि आवश्यकतानुसार जमीन मिल गई तो एक लाख पौधे लगा दिए जाएंगे। हालांकि, नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हर हाल में 90 परसेंट पौधे इस बार नगर निगम जरूर लगाएगा। अपर नगर आयुक्त रजनीश कुमार ने बताया कि हमलोग अपने स्तर से हरियाली लौटाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। इस काम में आम लोगों से भी सहयोग की अपेक्षा है। नगर निगम, सोसायटी, संस्था और आम लोगों के सहयोग से ही राजधानी को रांची को फिर से हरा-भरा बनाया जा सकता है। पौधे लग जाने के बाद राजधानी की आबोहवा भी फ्रेश हो जाएगी।

विभागों ने नहीं लगाए साढ़े तीन लाख पौधे

पौधरोपण की नियमित रूप से निगरानी भी कराई जाएगी, ताकि एक निश्चित समय के बाद हरे-भरे पेड़ तैयार हो सकें। लेकिन, इससे पहले के आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हंै। पौधरोपण को लेकर पहले भी नगर निगम और वन विभाग की ओर से कई योजनाएं एवं अभियान चलाए गए हैं। इनके तहत पौधे लगाए भी गए, लेकिन किसी भी क्षेत्र में हरियाली नहीं आई। पौधे लगाए जाने के चंद दिनों के बाद ही वह सूख जाते हैं। कुछ संस्थाएं स्वेच्छा से यह काम कर रही हैं। हालांकि, वह कटते पेड़ों के अनुपात में सफल साबित नहीं हो पा रहा है। वन विभाग के अनुसार बीते पांच साल में 60 हजार से अधिक पेड़ काटे जा चुके हैं। विभिन्न प्रकार के डेवलपमेंट योजनाओं के लिए बड़े पैमाने पर विशाल पेड़ काटे गए हंै। इनकी जगह विभिन्न विभागों को 3 लाख 50 हजार पौधे लगाने थे, लेकिन किसी विभाग ने अपने हिस्से का पौधरोपण नहीं किया। इससे शहर की हरियाली समाप्त हो गई। शहर में प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया है। बढ़ते प्रदूषण के कारण लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। वरिष्ठ नागरिकों को सबसे अधिक परेशानी हो रही है।

सिटी में घटती गई हरियाली

राजधानी बनने के बाद से ही रांची में साल दर साल हरियाली घटती चली गई। कभी अपने शहर को वनों के प्रदेश की राजधानी के नाम से जाना जाता था। आज हालात ये हैं कि रांची सबसे कम हरियाली वाले शहर में शामिल हो गया है। मेन रोड, लालपुर, सर्कुलर रोड जैसे शहर के मुख्य इलाकों से पेड़ लगभग साफ हो चुके हैं। ऐसे में हरियाली मैपिंग में काफी परेशानी हो रही है। सिटी में बड़े मॉल, अपार्टमेंट, रेस्टोरेंट व अन्य ऊंची-ऊंची इमारतें खड़ी हो गई हैं। इनके खड़े होने के पीछे हरे-भरे पेड़ की बली दी गई है। जितने पेड़ काटे गए, उसकी अपेक्षा में काफी पेड़ लगाए गए हैं। जिन पेड़ को लगाया गया, उनकी सही तरीके से देखभाल नहीं होने से बर्बाद हो चुके हंै। अब देखने वाली बात होगी कि इस बार जो निर्णय लिया गया है उसमे नगर निगम कितना सफल हो पाता है।

नगर निगम के सभी वार्ड में पेड़ लगाने का निर्णय लिया गया है। इसमें जनसहयोग की भी अपेक्षा है। राजधानी को फिर से हरा-भरा बनाने में सभी का सहयोग जरूरी है।

शशि रंजन, नगर आयुक्त