रांची(ब्यूरो)। सात साल पहले झारखंड में स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने प्लानिंग की, जो आज भी जमीन पर नहीं उतर पाया है। आलम ये है कि झारखंड में स्टार्टअप का रजिस्ट्रेशन बंद है। रजिस्ट्रेशन के लिए 500 से अधिक आवेदन पेंडिंग हैं। दूसरी ओर झारखंड की स्टार्टअप पॉलिसी भी लैप्स कर गई है। अब सरकार फिर से नई पॉलिसी बनाने की तैयारी कर रही है। इसका असर यह हुआ है कि राज्य के स्टार्टअप को सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल पा रही है।

2016 में लाई स्कीम

पांच साल तक स्टार्टअप का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब फि र से झारखंड में नई स्टार्टअप पॉलिसी तैयार की जा रही है। राज्य में स्टार्ट अप स्कीम साल 2016 में लागू की गई थी, जो 2021 में लैप्स कर गई। अब आईटी विभाग की ओर से फि र से स्टार्टअप पॉलिसी बनाई जा रही है। संभावना है कि पॉलिसी में कुछ संशोधन भी किए जाएंगे, जिसके बाद राज्य में नई स्टार्टअप पॉलिसी लागू की जाएगी। किसी भी पॉलिसी को सरकार पांच साल के लिए लागू करती है। पॉलिसी की सफ लता को ध्यान में रखते हुए पांच साल के बाद फि र से बनाई जाती है। इस साल राज्य में नई इंडस्ट्रीयल पॉलिसी लागू की गयी है, जिसे ध्यान में रखते हुए स्टार्टअप पॉलिसी बनायी जा रही है।

2021 से ही रजिस्ट्रेशन बंद

2021 से ही राज्य में स्टार्टअप के तहत रजिस्ट्रेशन बंद है। राज्य में स्टार्ट अप के लिए अटल इनोवेशन लैब गठित किया गया है, जो राज्य में स्टार्टअप पॉलिसी के तहत काम करती है। फिलहाल लैब में पूर्व के लगभग पांच सौ आवेदन लंबित हैं। युवाओं ने सरकार से मदद के लिए आवेदन किया है, लेकिन उनको कोई मदद नहींमिली।

आईआईएम अहमदाबाद कर रहा था मदद

पूर्व में आईआईएम अहमदाबाद झारखंड में स्टार्टअप का मेंटर रहा। दिसंबर 2019 में आईआईएम के साथ राज्य सरकार का करार खत्म हो गया। इसके साथ ही राज्य में स्टार्टअप के तहत रजिस्ट्रेशन भी बंद हो गया। कुछ समय के लिए विभाग की ओर से अपने स्तर से नए उद्यमियों का रजिस्ट्रेशन शुरू किया गया। लेकिन पॉलिसी लैप्स करने के बाद रजिस्ट्रेशन पूरी तरह बंद है।

स्टार्टअप को नहीं मिला पूरा पैसा

झारखंड में स्टार्टअप पॉलिसी को सात साल पूरे हो चुके हैं, लेकिन स्टार्टअप को बहुत कम लाभ मिला। 2016 में नई स्टार्टअप पॉलिसी आने के बाद जिस जोर-शोर से सरकार ने इसे बढ़ावा देने के लिए प्रोग्राम और फं ड बनाया, वो सब सिर्फ कागजों तक ही रह गया है। कई स्टार्टअप्स को आज भी फं ड मिलने का इंतजार है, लेकिन उन्हें आशंका है कि अब सरकार उन्हें एक कौड़ी भी देने वाली नहीं है। जितनी घोषणाओं के साथ राज्य सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी लागू की, उतनी सफलता पॉलिसी को नहीं मिल पाई। साल 2016 में राज्य में स्टार्टअप पॉलिसी लागू की गई थी, जिसमें ऐसे उद्यमियों को बढ़ावा देना था, जो अपने आइडिया से बेहतर और कुछ नया बिजनेस करने की चाह रखते हों।

सिर्फ 49 का चयन, फस्र्ट फेज की राशि भी नहीं मिली

सात साल में सरकार की ओर से मात्र 49 उद्यमियों का चयन किया जा सका है। यह चयन भी साल 2018 में ही किया गया था, जबकि पॉलिसी राज्य में नवंबर 2016 से ही लागू थी। इतना ही नहीं, राज्य में जो उद्यमी स्टार्टअप के लिए सेलेक्ट हुए हैं, उन्हें सरकार की ओर से फस्र्ट फेज की राशि तक नहीं दी गई है। इस कारण इन उद्यमियों में काफी निराशा है। चयनित उद्यमियों ने जानकारी दी कि पॉलिसी के तहत आइडिया में विकास, शोध और वैधता के लिए राज्य सरकार चयन होने के पहले 12 माह स्टाइपेंड के नाम पर 8,500 रुपए देने वाली थी। यह राशि प्रत्येक माह उद्यमी या उद्यमी समूहों को देनी थी। वहीं, दिव्यांग या महिला उद्यमियों को स्टाइपेंड राशि में अतिरिक्त 2000 रुपए देने का भी प्रावधान था। उद्यमियों ने जानकारी दी कि राज्य के किसी भी चयनित उद्यमी को यह राशि भी नहीं मिली है।

इनक्यूबेशन सेंटर भी खत्म

राज्य में 2016 में स्टार्टअप पॉलिसी शुरू की गई। इसके तहत अटल बिहारी इनोवेशन लैब स्थापित किया गया। पिछले एक साल से स्टार्टअप पॉलिसी के तहत राज्य में काम ठप है। इसकी प्रमुख वजह आईआईएम अहमदाबाद से एग्रीमेंट का खत्म होना है। एग्रीमेंट खत्म हुए एक साल हो गए। जिससे राज्य के उद्यमियों को स्टार्टअप का लाभ उठाने में परेशानी हो रही है। आईआईएम अहमदाबाद राज्य में स्टार्टअप पॉलिसी का मेंटर था, जो आईटी विभाग के अंतर्गत स्टार्टअप पर काम कर रहा था। पिछले साल से लेकर अब तक न नए उद्यमी इस योजना के तहत रजिस्टर्ड हुए और न ही किसी को फंड का लाभ ही मिला। बता दें कि राज्य अटल इनोवेशन लैब में स्टार्ट अप पॉलिसी के तहत उद्यमियों के साथ मिलकर आईआईएम अहमदाबाद की टीम काम करती थी।

सरकार ने स्टार्टअप पॉलिसी ड्राफ्ट तो कर ली है, लेकिन कैबिनेट से इसे पास नहीं कराया गया है। दो साल से पॉलिसी बंद है, स्आर्टअप को कोई मदद नहीं मिल रही है। सरकार आईवाश कर रही है।

-रतिन भद्रा, प्रेसिडेंट, स्टार्टअप इंडिया