रांची(ब्यूरो)। राज्य व राजधानी को क्राइम फ्री बनाने की दिशा में एक अहम निर्णय लिया गया है। संगीन क्राइम से जुड़े अपराधी एवं उग्रवादियों के पुनर्वास एवं क्रिमिनल्स को समाज की मुख्यधारा में जोडऩे को लेकर सरकार और पुलिस मुख्यालय प्रयासरत है। इसी के तहत ऐसे क्रिमिनल्स के मामलों की सुनवाई के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन किया जाएगा। इस पॉलिसी को तैयार करने की जिम्मेवारी संबंधित विभाग को दी गई है। इसे सरेंडर पॉलिसी नाम दिया गया है, जिसके माध्यम से तुरंत सुनवाई के साथ उग्रवादियों की पुनर्वास की व्यवस्था कराई जाएगी। वहीं क्रिमिनल्स द्वारा किए गए जघन्य अपराधों की सुनवाई अदालतों में भी जारी रहेगी। पॉलिसी के तहत सरेंडर करने वाले क्रिमिनल्स के गुण-दोष के आधार पर केस-टू-केस अभियोजन वापस लेने पर भी विचार हो सकेगा। छोटे अपराधों के लिए, अधिकारियों के विवेक पर प्ली बार्गेनिंग की अनुमति दी जा सकती है। वहीं, संगीन अपराध करने वाले क्रिमिनल्स को भी इसका लाभ मिलेगा।

पुनर्वास कैंप में ट्रेनिंग

सरेंडर करने वाले क्रिमिनल्स के पुनर्वास की भी व्यवस्था कराई जाएगी। अपना जीवनयापन बेहतर तरीके से कर सकें, इसके लिए उन्हें अलग-अलग क्षेत्र में ट्रेनिंग दी जाएगी। हर व्यक्ति अपनी पसंद और रुचि के आधार पर विषय का चयन कर ट्रेनिंग ले सकता है। इसके लिए उन्हें पुनर्वास शिविर में रखा जाएगा। जहां सरेंडर करने वालों को उनकी योग्यता के अनुरूप ट्रेनिंग-व्यवसाय दिया जाएगा। पुनर्वास और उनकी सभी गतिविधियों को देखने के लिए आरओ यानी की पुनर्वास अधिकारी नियुक्त किए जाएंगे। गृह विभाग किसी वरिष्ठ अधिकारी को यह जिम्मेवारी सौंपेगा। यह अधिकारी अनुदान में मिले रुपए से लेकर सरेंडर करने वाले व्यक्ति के रोजगार, स्वरोजगार व सामान्य जीवनयापन के लिए सरकार के सभी विभागों से को-आर्डिनेशन स्थापित करेगा।

पुनर्वास के लिए 2.5 से 5 लाख

सरेंडर करने वालों के पुनर्वास पर केंद्र की ओर से भी री-इंबर्समेंट राशि दी जाएगी। केंद्र द्वारा चलाई जा रही सुरक्षा संबंधी व्यय योजना के तहत पुनर्वास के लिए राज्य की ओर खर्च राशि की 60 परसेंट री-इंबर्समेंट दी जाएगी। उच्च रैंक वाले एलडब्ल्यूई कैडर के लिए 5 लाख और निम्नतर रैंक के वामपंथी उग्रवाद संवर्ग के लिए 2.5 लाख रुपए मिलेंगे। पुनर्वास शिविर में ट्रेनिंग के दौरान सरेंडर करने वाले को अधिकतम 36 महीने की अवधि के लिए 10 हजार रुपए की री-इंबर्समेंट भी एसआरई योजना के तहत केंद्र सरकार द्वारा दी जाएगी। इस सरेंडर पॉलिसी को विशिष्ट भौगोलिक और सामाजिक परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है, ताकि हिंसा त्यागने, सरेंडर करने और मुख्यधारा में शामिल होने की चाहत रखने वाले उग्रवादियों की मदद की जा सके। नीति का उद्देश्य सरेंडर करने वाले अपराधियों को सरकार की लाभकारी योजना, रोजगार और उद्यमशीलता के अवसर देना है, ताकि उन्हें मुख्यधारा में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके। ऐसे अपराधियों की पात्रता जांच के लिए भी पुनर्वास समिति का गठन किया गया।

परेशानियों से जूझ रहे सरेंडर करने वाले

पॉलिसी के तहत कई उग्रवादियों ने सरेंडर किया है, लेकिन आज भी वे तंगहाली और बेबसी की जिंदगी जी रहे हैं। कुछ की अनुदान राशि के पैसे बकाया हैं तो कोई पॉलिसी के तहत मिलने वाली जमीन से वंचित है। इस संबंध में सरेंडर करने वाले व्यक्ति एसएसपी से मिलकर गुहार लगा चुके हैं। नीति के तहत चार डिसमिल जमीन देने का प्रावधान है। लेकिन विवादित जमीन दे दी गई है, जिससे सरेंडर करने वाला व्यक्ति परेशान है। वहीं, मामलों की तुरंत सुनवाई नहीं होने के कारण नौकरी की चाहत रखने वाली एक महिला नक्सली आवेदन नहीं भर पा रही है। उनका कहना है फास्ट ट्रैक कोर्ट से तुरंत निष्पादन होने से उसे इसका फायदा मिलेगा।

सरेंडर करने वाले क्रिमिनल्स के मामलों की तुरंत सुनवाई के लिए यह निर्णय लिया गया है। संगीन अपराध का मामला कोर्ट में चलता रहेगा।

-किशोर कौशल, एसएसपी, रांची