रांची: रांची के 10 हजार लोगों के लिए रोजगार के द्वार खुलने वाले हैं। जी हां, रांची के खेलगांव होटवार में करीब 100 करोड़ रुपए की लागत से मिल्क पाउडर व मिल्क प्रोडक्शन प्लांट तैयार किया जाएगा। झारखंड स्टेट मिल्क फेडरेशन होटवार में यह प्लांट लगेगा। इससे प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से करीब 10 हजार लोगों को रोजगार मिलने वाले हैं। झारखंड सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की है। अब सरकार द्वारा इस प्लांट की स्थापना की तैयारी शुरू कर दी गई है। होटवार में 5 एकड़ खाली जमीन पर यह प्लांट बनेगा। सब कुछ सही समय पर हुआ तो 18 महीने में दोनों प्लांट बनकर तैयार हो जाएंगे।

टेक्निकल व नन टेक्निकल को रोजगार

रांची में इस प्लांट की स्थापना हो जाने से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से 10 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा, जो मिल्क कलेक्शन सेंटर है उनको भी फायदा होगा कि वो अधिक से अधिक दूध की सप्लाई कर सकेंगे। साथ ही अप्रत्यक्ष रूप से बहुत सारे लोग भी इस व्यवसाय से जुड़े हैं, उनको लाभ होगा। यहां प्लांट की स्थापना हो जाने के बाद बहुत सारे टेक्निकल और नन टेक्निकल लोगों को भी रोजगार उपलब्ध होगा।

अभी भेजा जाता है लखनऊ

झारखंड में मिल्क फेडरेशन द्वारा हर दिन करीब 1 लाख 40 हजार लीटर दूध कलेक्शन सेंटर से आता है। इस दूध को बाजार में हर दिन बेचा जाता है लेकिन अधिक कलेक्शन होने और दूध बच जाने के बाद उसको पाउडर बनाने के लिए झारखंड से टैंकर के माध्यम से लखनऊ भेजा जाता है। अब जब यहां यह सेंटर शुरू हो जाएगा तो बाहर टैंकर नहीं भेजा जाएगा।

कोरोना काल में बच रहा दूध

दूध उत्पादकों को राहत देने के लिए ये प्लांट स्थापित किए जा रहे हैं। प्लांट खुलने के बाद दूध की मांग कम होने पर भी इसका उपोयग किया जाएगा और इससे दुग्ध उत्पादकों को लाभ होगा। कोरोना संक्रमण फैलने के बाद दूध की मांग कम हो गई थी और डेयरी प्लांट वाले भी किसानों से दूध नहीं ले रहे थे। इस कारण किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। किसानों को राहत देने के लिए सरकार ने रांची में मिल्क प्रोडक्ट और मिल्क पाउडर प्लांट लगाने की घोषणा बजट में की है। प्लांट लगने के बाद किसानों की आमदनी तो बढ़ेगी ही, युवाओं को रोजगार भी मिलेगा।

बंद हो गया था दूध का उठाव

कोरोना संक्रमण के दौरान झारखंड की मेधा डेयरी ने दूध की मांग कम होने के बाद किसानों से दूध का उठाव करना बंद कर दिया था। दूध को लंबे समय तक सहेज कर रखने का कोई विकल्प इन सरकारी और निजी डेयरी किसी के पास नहीं था। दूध को पाउडर में तब्दील करके ही लंबे समय तक रखा जाता है। राज्य सरकार की डेयरी ने एक निजी डेयरी से इसके लिए संपर्क किया था, लेकिन वह भी तैयार नहीं हुआ। छत्तीसगढ़ की एक कंपनी ने 40 हजार लीटर दूध को पाउडर में तब्दील करने के बाद दूध लेने से इनकार कर दिया था। इस कारण दूध संग्रहण नहीं हो पा रहा था और किसानों को सस्ती कीमत पर दूध बेचने पर मजबूर होना पड़ा था।

होटवार में है मेधा डेयरी का प्लांट

रांची के होटवार में मेधा डेयरी का प्लांट है। इसकी क्षमता एक लाख लीटर की है, लेकिन इसे बढ़ा कर ढाई लाख लीटर प्रतिदिन करने की योजाना है.यहां हर दिन एक लाख लीटर से अधिक दूध प्रॉसेसिंग के लिए आता है। प्लांट में तीन चरणों में दूध की जांच की जाती है। पहली जांच किसानों से दूध लेते समय की जाती है। किसानों से दूध लेने के बाद कलेक्शन सेंटर पर जांच की जाती है। होटवार प्लांट में आने के बाद फिर चेक किया जाता है। जांच की पूरी व्यवस्था कंप्यूटराइज्ड है। गुणवत्ता बरकरार रखने के लिए 14-15 तरह के अलग-अलग टेस्ट किए जाते हैं।

चार तरह का दूध होता है तैयार

मेधा के पास चार अलग-अलग तरह के वेरियेंट हैं। इसमें स्टैंडर्ड्स और टोंड मिल्क के अतिरिक्त चाय, दही और खीर के लिए शक्ति स्पेशल दूध बाजार में उपलब्ध है। जो ग्राहक गाय का दूध पसंद करते हैं, उनके लिए अलग से गाय का दूध है। छह लीटर के दूध का पैक है। इसके अतिरिक्त लस्सी, दही, पनीर, मिष्टी दही भी है। स्कूली बच्चों के लिए विशेष मांग परफ्लेवर्ड गिफ्ट मिल्क तैयार किया जाता है।

होटवार में मिल्क पाउडर व मिल्क प्रोडक्शन प्लांट तैयार किया जाएगा। झारखंड स्टेट मिल्क फेडरेशन होटवार में यह प्लांट लगाया जाएगा। झारखंड सरकार ने बजट में इसकी घोषणा की है। यहां प्लाट लग जाने से लोगों को रोजगार भी मिलेगा।

-सुधीर सिंह, एमडी, झारखंड मिल्क फेडरेशन