रांची (ब्यूरो) । रांची यूनिवर्सिटी में तीन जनवरी से शुरू हुए संकाय संवर्धन कार्यक्रम में मंगलवार को प्रथम सत्र में देश के मशहूर आलोचक और विचारक, हिंदी विभाग, रांची यूनिवर्सिटी के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ रवि भूषण ने उच्चतर शिक्षा और इसका पारिस्थितिकी तंत्र विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा का अर्थ है सामान्य रूप से सबको दी जानेवाली शिक्षा से ऊपर किसी विशेष विषय या विषयों में विशेष, विशद तथा शूक्ष्म शिक्षा। यह शिक्षा के उस स्तर का नाम है जो विश्वविद्यालयों, व्यावसायिक विश्वविद्यालयों, कम्युनिटी महाविद्यालयों, लिबरल आर्ट कॉलेजों एवं प्रौद्योगिकी संस्थानों आदि के द्वारा दी जाती है। प्राथमिक एवं माध्यमिक के बाद यह शिक्षा का तृतीय स्तर है जो प्राय: ऐच्छिक होता है।

11.6 गुना बढ़ेे यूनिवर्सिटी

उन्होंने कहा कि स्नातक, परास्नातक जैसी डिग्री मिलती है। भारत का उच्च शिक्षा तंत्र अमेरिका, चीन के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उच्च शिक्षा तंत्र है। विगत 50 वर्षों में देश के विश्वविद्यालयों की संख्या में 11.6 गुना, कॉलेजों में 12.5 गुना, विद्यार्थियों की संख्या में 60 गुना और शिक्षकों की संख्या में 25 गुना वृद्धि हुई है। सभी को उच्च शिक्षा के समान अवसर सुलभ कराने की नीति के अन्तर्गत सम्पूर्ण देश में महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है और साथ ही उच्च शिक्षा की अवस्थापना सुविधाओं पर विनियोग भी तदनुरुप बढ़ा है एवं व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण आदि आते हैं।

रिसर्च की दिशा पर लेक्चर दिया

द्वितीय सत्र में रांची विश्वविद्यालय हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ जंग बहादुर पांडे जी ने शोध की दशा और दिशा विषय पर व्याख्यान दिया। तृतीय सत्र में डॉ उषा किरण व्याख्याता संस्कृत विभाग रांची विमेंस कॉलेज रांची ने शोध, प्रकाशन और नैतिकता विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत किया। चौथे और अंतिम सत्र में आशीष रंजन, बलवंती कुमारी, पारदीनाथ हांसदा, वंदना कुसुम एक्का जैसे प्रतिभागियों द्वारा अनु शिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

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