रांची (ब्यूरो): राष्ट्रभाषा हिन्दी की अलख जगाने का काम कर रहे हैैं तीन सहोदर भाई, नाम है डॉ हाराधन कोईरी, डॉ गणपति कोईरी और डॉ मृत्युंजय कोईरी। राजधानी रांची से 70 किलोमीटर दूर सोनाहातू थाना इलाके के चोगा के रहनेवाले इन तीनों भाइयों के आपसी प्रेम की चर्चा भी गांव में खूब है। ये तीनों भाई जितने समर्पण भाव के साथ रहते हैं, उतने ही समर्पण भाव के साथ हिन्दी की सेवा भी कर रहे हैैं। तीनों भाई हिन्दी से एमए, यूजीसी नेट और पीएचडी हैं।

खून-पसीना एक कर पढ़ाया

शिक्षित लोगों के बच्चे ही उच्च शिक्षा हासिल करेंगे, ऐसा बिल्कुल नहीं है। इसका जीता-जागता उदाहरण हैं डॉ हाराधन, डॉ गणपति और डॉ मृत्युंजय। इनके पिता कार्तिक कोईरी और माता सुखदा देवी हैं। इनके माता-पिता ने इन्हें खेती-किसानी करके तीनों बेटों को पढ़ाया-लिखाया। कार्तिक कोईरी जब चार साल के थे तभी उनके पिता का निधन हो गया था। विधवा माता ने जैसे-तैसे उनका लालन-पालन किया, लेकिन वे शिक्षा से महरूम रह गए। उन्होंने दूसरी कक्षा तक की शिक्षा पायी है। वे केवल आपना नाम भर लिख लेते हैं। अपनी अधूरी शिक्षा का मलाल उन्हें अभी भी है। अब तो वे गंभीर रूप से लकवाग्रस्त हो गये हैं, लेकिन अपनी दृढ़ इच्छा शक्ति के कारण अपने तीनों बेटे को इस काबिल बनाया कि वे पंचपरगना क्षेत्र के लिए मिसाल बन गए हैं।

तीनों कर रहे नौकरी

कार्तिक कोईरी के तीनों बेटे नौकरी में हैं- बड़ा बेटा डॉ हाराधन कोईरी गोस्सनर महाविद्यालय, रांची में सहायक प्राध्यापक के पद पर कार्यरत हैं। मझला बेटा डॉ गणपति कोईरी, उत्क्रमित उच्च विद्यालय, बारेन्दा, सोनाहातू में कार्यरत हैं। वहीं छोटा बेटा डॉ मृत्युंजय कोईरी डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक (अनुबंध) के पद पर कार्यरत हैं। ये तीनों अलग-अलग क्षेत्र में स्वतंत्र लेखन भी कर रहे हैं। डॉ हाराधन पंचपरगनिया पर कविता लेखन करते हैं। इनके काव्य संग्रह का नाम &टुसू&य है। जबकि डॉ मृत्युंजय कहानी लेखन करते हैं। इनके कहानी -संग्रह का नाम है-मेंड़, राजेश की बैल गाड़ी, एक बोझा धान आदि।

खोला है पुस्तकालय

तीनों भाइयों ने मिलकर गांव में एक पुस्तकालय खोला है, जिसका नाम है &कुशवाहा पुस्तकालय&य साथ ही &तुलसी अध्ययन केन्द्र&य की भी स्थापना की है, जिसका ध्येय है पाँचपरगना क्षेत्र में तुलसी साहित्य को जन-जन तक पहुँचाना।