रांची (ब्यूरो) । यदि रोग शोक से हम सचमुच रक्षा चाहते हैं तो हमें चाहिए हम पुन: यह विचित्र रूहानी बन्धन बांधें। मन, वाणी कर्म को पूर्ण पवित्र बनाने का व्रत लें। यदि प्रभु से सच्चा प्यार है तो पवित्रता का बीड़ा उठाना चाहिए। ये उद्गार रविवार को चौधरी बगान हरमू रोड ब्रह्माकुमारी केन्द्र में राखी महोत्सव का शुभारंभ करते हुए मेजर जनरल मनोज कुमार (अप्रा)

ने अभिव्यक्त किये। उन्होंने कहा राखी भी कुछ धागों की ही बनी होती है लेकिन उनके पीछे जो भाव भरा हुआ होता है वह ही जीवन को ऊंचा बनाता है।

प्रभु के हवाले कर दें

कार्यक्रम में उपस्थित डॉ रीना सेनगुप्ता ने कहा बांधें तो ऐसा रक्षा बन्धन बांधेें जिससे स्वर्ग का स्वरा'य मिल जाये। दूसरों के साथ अपने लेन-देन कर्म खाते पर ध्यान दें। ईश्वरीय ज्ञान और सहज राजयोग का अभ्यास इन दो धागों से बंधी जीवन डोर प्रभु के हवाले कर दें।

राखी का आध्यात्मिक अर्थ बताते हुए ब्रह्माकुमारी निर्मला बहन ने कहा की राखी स्थूल तन की रक्षा ही नहीं बल्कि आपदाओं, सतीत्व, माया के बन्धन व काल के पंजे से रक्षा का प्रतीक है। देश में आज अनेक प्रकार के पापाचार हो रहे हैं उनसे स्व की व सर्व की रक्षा करने के लिए यह राखी बन्धन का रिवाज पतित पावन परमात्मा ने डाला है। मर्यादा भंग के समय में भगवान स्वयं रक्षक बनकर आते हैं तथा मानवता के हृदय की समस्त कलुषित वासनाओं को परिष्कृत करते हैं। यह रक्षासूत्र दुखद मानसिक ग्रन्थियों का निराकरण कर आत्मा की मलीन ज्योति को प्रज्वलित कर देता है। ऐसा पवित्र बन्धन जो बांधते हैं विश्व रक्षक परमात्मा की रक्षा

का हाथ सदा छत्रछाया के रूप में उनके मस्तक पर रहता है। कार्यक्रम में सुभाष चन्द्र गर्ग, डीजीएम, नाबार्ड भी उपस्थित थे।