रांची(ब्यूरो)। यदि आप भी अपने घर में बिना हॉल मार्किंग वाले सोने के गहने रखे हैं तो उसकी तुरंत हॉल मार्किंग करा लीजिए। वरना भविष्य में आपकी परेशानी बढ़ सकती है। इसके लिए आप बिना हॉल मार्क वाली ज्वेलरी जिस शोरूम से खरीदे हैं उसके पास गहने लेकर जाइए और हॉलमार्किं गरवा लीजिए। बता दें कि हॉल मार्किंग के लिए सिटी में दो ही सेंटर हैं, जहां आभूषणों की हॉल मार्किंग की जाती हैै। लेकिन वहां कोई आम पब्लिक जाकर यह नहीं करा सकता है। यह अधिकार सिर्फ दुकानदार को ही है। दरअसल, हॉल मार्किंग नियम लागू होने के बाद घरों या लॉकरों में रखे पुराने गहनों में भी हॉलमार्क कराना अनिवार्य हो गया है। वरना बिना हॉल मार्किंग वाले गहनों की कीमत कम हो सकती है। नियमों का पालन नहीं करने पर 1 लाख से लेकर ज्वेलरी के दाम के 5 गुना तक जुर्माना भी लग सकता है।

बीआईएस टीम करेगी कार्रवाई

ज्वेलरी शॉप के ओनर अब यदि बगैर हॉल मार्क वाला जेवर बेचते पाए गए तो उन पर कार्रवाई की जाएगी। यह नियम एक साल पहले से ही है। लेकिन, आभूषण विक्रेताओं को बिना हॉल मार्क वाली ज्वेलरी हटाने के लिए समय दिया गया था, जो नवंबर महीने में पूरा हो चुका है। इसके लिए 30 नवंबर तक विक्रेताओं को समय दिया गया था। अब इसकी जांच शुरू की जाएगी। भारतीय मानक ब्यूरो बीआईएस की टीम रांची की ज्वेलरी शॉप में किस प्रकार के आभूषण की बिक्री हो रही, इसकी जांच की जाएगी। पुराने स्टॉक को हॉलमार्क कराने के लिए भी दुकानदारों को समय दिया गया था। हालांकि, गल्ली-मुहल्लों में अब भी कुछ दुकानदार ऐसे है जो इस नियम को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। ऐसे दुकानदारों पर बीआईएस की टीम जुर्माना करेगी। वहीं, रजिस्टर्ड ज्वेलर्स के पास नॉन हॉल मार्क वाली ज्वेलरी मिलने पर उनका लाइसेंस एक साल रद्द किया जा सकता है।

धोखे की गुंजाइश खत्म

कोरोना महामारी के कारण हॉलमार्किंग की अनिवार्यता लागू करने की डेडलाइन आगे बढ़ाई गई था, जो अब खत्म हो चुकी है। इस महीने से हॉलमार्किंग अनिवार्य होगी और ज्वेलर्स सिर्फ हॉलमार्क वाली ज्वेलरी ही बेच सकेंगे। इसका मतलब है कि सोने के गहनों की खरीदारी में धोखाधड़ी की गुंजाइश न के बराबर रह जाएगी। हॉलमार्किंग के नियम लागू होने के बाद सिर्फ 22 कैरट, 18 कैरट, 14 कैरट की ज्वेलरी ही बिकेगी। हॉल मार्किंग में बीआईएस की मुहर, कैरेट की जानकारी होगी। ज्वेलरी बनने का साल, ज्वेलर का नाम भी दर्ज होगा। बता दें कि बीआईएस हॉलमार्किंग सिस्टम को इंटरनेशनल मानदंडों से जोड़ा गया है। हॉलमार्किंग से गोल्ड मार्केट में पारदर्शिता भी बढ़ेगी।

क्या होता है हॉलमार्क

हॉल मार्क से सोने की शुद्धता जांची जाती है। इसके होने से धोखाधड़ी की आशंका खत्म हो जाती है। पहले हॉलमार्क के तहत कुल पांच निशान होते थे। वर्ष 2017 में इसमें से साल के निशान को हटा दिया गया। अब हॉलमार्क के तहत आभूषणों पर चार निशान ही लगाए जाते हैं। इसमें बीआइएस का लोगो, शुद्धता का अंक(916-22 कैरेट, 750-18 कैरेट, 585-14 कैरेट), असेइंग सेंटर का लोगो और विक्रेता शोरूम का लोगो शामिल होता है। इन निशान को मैग्निफाइंग ग्लास से देख सकते हैं, क्योंकि यह लेजर मार्किंग मशीन से लगाया जाता है।