RANCHI: झारखंड प्रकृति की मनोरम दृश्यों से अटा पड़ा है। ऐसा लगता है जैसे प्रकृति ने अपने हाथों से झारखंड को संवारा हो। हर तरफ घने जंगल, ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से गिरते झरने और बडे़-बडे़ चट्टान यहां की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं। राजधानी रांची से महज 35 से 40 किमी की दूरी पर अनेक फॉल व ऐतिहासिक स्थल हैं। इन्हीं में से एक है तिरु फॉल। जी हां, कई लोगों के लिए नाम भले नया हो क्योंकि अधिकतर लोग आज भी इस फॉल के बारे नहीं जानते, या यूं कहें यहां की खूबसूरत वादियों से अबतक अनभिज्ञ हैं।

कई दंत कथाएं

राजधानी रांची से पश्चिम की ओर महज 40 किमी की दूरी पर बुढमू प्रखंड में स्थित है तिरु फॉल। अपनी खूबसूरती और हसीन वादियों के लिए यह जलप्रपात आस-पास के गांव के लोगों के लिए एक बेहतर टूरिस्ट स्पॉट है। बुढमू से बाहर जैसे रांची या अन्य जगहों से भी कुछ गिने-चुने लोग यहां घूमने पहुंचते हैं। तिरु जलप्रपात से जुड़ी कई रोचक कहानियां भी हैं। यहां के मनोरम दृश्य, खूबसूरत वादियां और पहाड़ों से गिरते झरने आपका मन मोह लेंगे। किसी भी टूरिस्ट प्लेस से यह कम नहीं है, लेकिन अफसोस कि ज्यादा लोग इसके बारे में जानते ही नहीं हैं। कहा जाता है, यहां एक कुंआ है जिसकी गहराई आजतक कोई नाप ही नहीं पाया। आसपास के लोगों के अनुसार सात खटिया की बिनाई में जितनी रस्सी लगती है उससे भी अधिक गहरा है यह कुआं।

14 जनवरी को मकर संक्रांति मेला

पहाड़ों के बीच से 300 फीट की ऊंचाई से झरने की तरह पानी नीचे की ओर गिरता है। यहां एक छोटा और एक बड़ा झरना है। 350 सीढ़ी नीचे उतरकर लोग पिकनिक का आंनद लेते हैं। इस जलप्रपात से धार्मिक आस्था भी जुड़ी है। आस-पास के लोग बताते है कि यहां एक बहुत पुराना शिव लिंग है। अब इस स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया जा रहा है। इसके साथ ही तिरु राजा से जुड़ी कई कहानियां भी यहां प्रचलित है। 95 वर्षीय बिरबल महतो ने बताया कि इस स्थान पर नाग नागिन के रासलीला की कहानी भी प्रसिद्ध है। वहीं 14 जनवरी मकर संक्रांति के अवसर पर संक्राति मेला भी यहां लगता है, जिसमें आसपास के दर्जनों गांव के लोग शामिल होते हैं।

उपेक्षित है यह जलप्रपात

जिस तरह यहां की खूबसूरती की चर्चा लोग करते हैं। उस अनुसार इसे डेवलप नहीं किया गया है। यह आज भी उपेक्षित है। इसे बेहतर टूरिस्ट प्लेस बनाया जा सकता था, लेकिन सरकार का इस दिशा में पहल न करना निराश करता है। इस फॉल में सुरक्षा और सफाई के कोई इंतजाम नहीं हैं। तिरु फॉल विकास समिति के सदस्यों ने इसकी देखरेख का बीड़ा उठा रखा है। ग्रामीणों के अनुसार, तत्कालीन मुख्यमंत्री से लेकर तत्कालीन पर्यटन मंत्री ने कई सब्जबाग दिखाए, बड़े-बडे़ वायदे किए लेकिन हुआ कुछ नहीं। 2016 में सीसीएल की ओर से सीढि़यों का निर्माण कराया गया था। इसकी स्थिति भी खराब हो चुकी है। इसके डेवलपमेंट से आस-पास के लोगों को भी रोजगार मिलेगा।