रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में स्मार्ट ट्रैफिक बूथ बनाने का दावा फिर से हवा हवाई साबित हुआ है। बीते कई सालों से ट्रैफिक बूथ की हालत सुधारने घोषणा की जा रही है, लेकिन आज तक इस दिशा मेें पहल भी नहीं हुई है। पहले तत्कालीन ट्रैफिक एसपी अजीत पीटर डुंगडुंग फिर अंजनी अंजन ने भी इसे सुधारने का दावा किया था। वास्तविक हालत क्या है यह आज किसी से छिपा नहीं है। ट्रैफिक बूथ पर सिपाही किस जद्दोजहद से रहते हैं, इससे जानने के लिए किसी भी बूथ पर जाकर सहज ही देखा जा सकता है। एक-दो को छोड़कर सिटी के अधिकांश ट्रैफिक बूथों में ढंग से बैठने लायक भी जगह नहीं है।

बारिश में फिर शुरू हुई परेशानी

बारिश शुरू होते ही ट्रैफिक पुलिसकर्मियों की परेशानियों का सिलसिला भी शुरू हो गया है। भरी बारिश में तिरपाल, प्लास्टिक, बोरे और फ्लेक्स के नीचे किसी तरह पुलिस कर्मी खुद को बचाते नजर आ रहे हंै। बारिश से बचने के लिए पुलिसकर्मियों को ट्रैफिक बूथ छोड़ यहां-वहां भागना पड़ता है। दुकानों या घरों में जाकर पुलिसकर्मी बारिश से बचते हैं। ट्रैफिक बूथ के अंदर भी बारिश का पानी टपकता है, जिससे बैठने में परेशानी होती है। पुलिसकर्मियों का कहना है कि सिर्फ बारिश ही नहीं बल्कि हर मौसम में परेशानी होती है। बारिश में यह ज्यादा बढ़ जाती है। पुलिसकर्मी खुद ही ठंढ, गर्मी और बारिश से बचने की जुगत में सालोंभर लगे रहते हैैं।

दयनीय है स्थिति

पहले भी कई बार ट्रैफिक बूथों को दुरुस्त करने की योजना बनी, लेकिन हर बार यह फाइलों तक ही सिमट कर रह गई। ट्रैफिक पुलिस खुद से जैसे-तैसे शेड तैयार कर ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं। डंगराटोली चौक, किशोरगंज चौक, शनि मंदिर, गाड़ीखाना, गौशाला, दुर्गा मंदिर, प्लाजा चौक, क्लब रोड, डोरंडा, राम मंदिर, मेकॉन चौक, एजी मोड़, डोरंडा थाना मोड़, जेवियर मोड़, कांटाटोली, शहीद चौक, काली मंदिर, मिशन चौक समेत अन्य बूथों की स्थिति सबसे ज्यादा खराब है।

होती है ज्यादा परेशानी

राजधानी की ट्रैफिक बूथों पर महिलाओं को ज्यादा परेशानी हो रही है। महिला पुलिसकर्मियों के लिए अलग से कोई सुविधा नहीं है। यहां तक टॉयलेट की भी व्यवस्था महिलाओं के लिए अलग से नहीं है। ड्यूटी पर तैनात महिला पुलिसकर्मी ने बताया कि ज्यादा टॉयलेट न जाना पड़े, इसके लिए वे कम पानी पीती हैैं। ट्रैफिक बूथ पर बैठने या थोड़ा रेस्ट करने के लिए भी जगह नहीं है। कहीं पांच बाई पांच का ट्रैफिक बूथ है। उसी महिला-पुरुष दोनों बैठते हैं।

बेंगलुरु की तर्ज पर होना था स्मार्ट

राजधानी के 30 ट्रैफिक बूथ को फस्र्ट फेज में स्मार्ट बनाने की योजना बनी थी। इन ट्रैफिक बूथ को बेंगलूरु के तर्ज पर स्मार्ट किया जाना था, लेकिन एक साल बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं हुई है। सिटी में करीब 102 ट्रैफिक बूथ हैैं। इनमें 12 को छोड़कर अन्य सभी की हालत खराब है। कुछ जगह तो शेड ही नहीं है। पेड़ के नीचे बैठकर पुलिसकर्मी ड्यूटी करते हैं। सिटी में ज्यादातर ट्रैफिक बूथ अस्थायी हैं। इन ट्रैफिक बूथों में तैनात ट्रैफिक कर्मियों की सुविधाओं का भी ख्याल रखने के वादे किए गए थे। बूथ में बिजली के लिए सोलर पैनल की व्यवस्था से लेकर बूट पॉलिश मशीन, लाइट, पंखा, टॉयलेट, मोबाइल चार्जिंग प्लाइंट समेत अन्य सुविधाएं बहाल करने की योजना बनी थी।

गाड़ीखाना चौक

गाड़ीखाना चौक के पास स्थित ट्रैफिक बूथ की स्थिति काफी दयनीय है। पोस्ट पर चार जवान तैनात रहते हैैं। बारिश के मौसम को देखते हुए ट्रैफिक बूथ पर प्लास्टिक लगाया जा रहा है।

गौशाला चौका

इस रास्ते से सीएम से लेकर सभी नेता मंत्री का काफिला गुजरता है, लेकिन गौशाला चौक के पास ढंग का ट्रैफिक बूथ तक नहीं है। पुलिस के जवानों के बैठने के लिए उचित स्थान भी नहीं है।

मिशन चौक

मिशन चौक का ट्रैफिक बूथ बदहाली के आंसू बहा रहा है। चिथड़ों से घेर कर बूथ बनाया गया है, जहां से राजधानी के ट्रैफिक जवान सिटी का ट्रैफिक कंटोल करते हैं।

प्लाजा चौक

प्लाजा चौक के पास स्थित ट्रैफिक बूथ पर पांच जवान तैनात रहते हैं। इस बूथ की स्थिति काफी दयनीय है। बांस, बल्ली और बेरिकेडिंग लगाकर किसी तरह काम चल रहा है।

ट्रैफिक बूथ को स्मार्ट बनाने की दिशा में प्रयास चल रहे हैं। कुछ स्थानों पर काम भी हुआ है और काम की जरूरत है।

-कौशल किशोर, एसएसपी, रांची