रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची को स्मार्ट बनाने के लिए कई सपने दिखाए गए। ट्रैफिक व्यवस्था से लेकर रोड, नाली सब कुछ व्यवस्थित करने के भी सब्जबाग दिखाए गए। लेकिन हकीकत क्या है, यह किसी से छिपा नहीं है। सिटी में ट्रैफिक सिग्नल को लेकर भी बड़े-बड़े दावे किए गए पर सब फेल नजर आ रहे हैं। किस तरह जनता के पैसे का दुरुपयोग होता है यह राजधानी रांची में बखूबी देखा जा सकता है। सिटी के कई स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाया गया है, जो बिल्कुल यूजलेस है। ये किसी काम का नहीं है। शहर के लगभग एक दर्जन से ज्यादा स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए, जिसका कभी इस्तेमाल ही नहीं हुआ। इन सिग्नल को लगे एक साल से ज्यादा वक्त बीत चुका है। लेकिन एक बार भी सिग्नल जला नहीं है। राजधानी रांची के अलग-अलग स्थानों पर नए चौराहों को चिन्हित करते हुए ये सिग्नल लगाए गए हैं। इन सिग्नल पर न कोई गाड़ी रुकती है और न ही सिग्नल जलते हैं। न ही यहां कोई ट्रैफिक पोस्ट है।

मेनटेनेंस का अभाव

जिन स्थानों पर ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए हैं। वहां उसका मेनटेनेंस भी नहीं हो रहा है। जिससे अब इनकी स्थिति खराब होने लगी है। कडरू ब्रिज के नीचे लगाए गए सिग्नल के इर्द-गिर्द गंदगी जमा हो गई है। साथ ही सिग्नल के चारों ओर मकडिय़ों का जाल बन गया है। वहीं सुजाता से क्लब रोड की ओर जाने वाले रास्ते में लगाया गया सिग्नल टूट कर नीचे गिरा हुआ है। इधर किशोरी यादव चौक, दुर्गा मंदिर चौक समेत अन्य स्थानों पर लगे ट्रैफिक सिग्नल भी कभी प्रयोग में नहीं लाए गए। ट्रैफिक सिग्नल, कैमरा, एमरजेंसी कॉल बॉक्स एवं ट्रैफिक से जुड़े अन्य उपकरण लगाने के लिए करीब 164 करोड़ रुपए की योजना बनी थी। ट्रैफिक सिग्नल लगाने में करीब दो करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। रांची के 34 लोकेशन पर सिग्नल लगाए गए हैं, जिनमें 16 नए सिग्नल हैं। जबकि कुल 60 स्थानों पर स्मार्ट ट्रैफिक सिग्नल लगाने का प्रस्ताव लाया गया था।

मैन्युअल ट्रैफिक कंट्रोल

वैसे चौक-चौराहे जहां सिग्नल जल रहे हैं वहां भी पुलिस मैन्युअल ही ट्रैफिक कंट्रोल करती नजर आ रही है। दरअसल कई स्थानों के सिग्नल में लगातार खराबी की शिकायत आती रहती है। सबसे ज्यादा समस्या बैटरी डाउन होने की है। लाइट कटते ही सिग्नल बैटरी से ऑपरेट होता है। लेकिन कुछ ही देर में बैटरी डिस्चार्ज हो जाती है जिससे सिग्नल बंद हो जाता है। इसके बाद चौराहे पर तैनात पुलिस खुद ही ट्रैफिक कंट्रोल करते हैं। वहीं वैसे चौराहे काफी बिजी हैं, जहां वीआईपी मूवमेंट है उस स्थान पर भी सिग्नल बंद कर मैन्युअल ट्रैफिक कंट्रोल किया जा रहा है।

20 के बाद 16 नए सिग्नल

शहर में पहले से 20 ट्रैफिक सिग्नल ऑपरेट हो रहे थे। उन्हें रिप्लेस कर उनके स्थान पर नए सिग्नल लगाए गए हैं। उसी दौरान 16 नए स्थानों का चयन कर वहां भी सिग्नल लगा दिए गए हैं। इनमें दो-तीन काम कर रहे हैं। बाकी सब बेकार पड़े हुए हैं। इन नए ट्रैफिक पोस्ट पर ट्रैफिक सिग्नल, ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रीडर, रेड लाइट वॉयलेंस डिटेक्टर भी लगाया गया है। कुछ स्थानों पर पुलिस तैनात रहती है तो कुछ जगह पुलिस भी नहीं होती। ट्रैफिक विभाग के अधिकारियों ने बताया कि राजधानी में ट्रैफिक व्यवस्था को स्मूथ करने के लिए नए सिग्नल बनाए गए हैं। इससे राजधानी वासियों को भी जाम से निजात मिलेगी। लेकिन कुछ तकनीकी कारणों से सभी सिग्नल चालू नहीं किए जा सके हैं।

यहां लगाए गए नए सिग्नल

-पिस्का मोड़,

-कडरू ब्रिज,

-कांके रोड, प्रेमसंस के पास

-दुर्गा मंदिर, रातू रोड

-मोरहाबादी मैदान, टैगोर हिल

-कोकर चौक

-कश्मीर वस्त्रालय, मेन रोड

-काली मंदिर, मेन रोड

-शनि मंदिर, गड़ीखाना चौक

-बहु बजार

-रिम्स चौक

-सिंह मोड़

-थड़पखना चौक

-पुरूलिया रोड

-कर्बला चौक

-न्यूक्लियस मॉल