रांची(ब्यूरो)। मोरहाबादी का इलाका कई बार सुर्खियों में रहा है। कभी दिनदहाड़े मर्डर तो कभी यहां के फुटपाथ दुकानदारों द्वारा किए गए आंदोलन की वजह से यह चर्चा में रहा है। इसके अलावा कभी कोई मेला तो कभी स्पोट्र्स की वजह से यहां लोगों का आवागमन काफी अधिक बढ़ जाता है। मोरहाबादी मैदान के फुटपाथ दुकानदारों को आज तक व्यवस्थित नहीं किया जा सका है। दुकानदारों को स्थान मुहैया कराने के लिए वेंडर मार्केट बनाने का भी निर्णय लिया गया है, लेकिन फिलहाल यह ठंडे बस्ते में है। आज भी रजिस्ट्री ऑफिस के आसपास फुटपाथ दुकानदारों के कारण पूरा परिसर अस्त-व्यस्त रहता है। इसके अलावा ग्राउंड के पीछे सजने वाले सब्जी मार्केट ने भी ग्राउंड का हाल बिगाड़ रखा है। शाम के वक्त इस सड़क से गुजरना भी मुश्किल होता है। जाम के कारण आवागमन काफी प्रभावित रहता है।
बाजार के दिन रोड बंद
सड़क पर दुकान सजने से आवागमन काफी प्रभावित रहता है। बाजार वाले दिन नर्क वाली स्थिति हो जाती है। सड़क को बंद करने की मजबूरी हो जाती है। सिर्फ रूईन हाउस वाली सिंगल सड़क से आवागमन होता है। क्योंकि दुकानदार पूरी सड़क पर बाजार लगा देते हैं। इसके अलावा ग्राउंड के बाईं ओर शाम के वक्त आने-जाने में भारी समस्या होती है। सड़क पर दुकान लगने से न सिर्फ मोरहाबादी का इलाका बल्कि हरिहर सिंह रोड, से लेकर करमटोली चौक तक जाम लग जाता है। वैसे तो कई बार इन दुकानदारों को व्यवस्थित करने का प्लान बनाया लेकिन हर बार यह विफल ही हुआ है।
वेंडर से लेकर नाइट मार्केट तक सब फेल
दो साल पहले मोरहाबादी मैदान के समीप ही गैंगवार हुआ, जिसमें एक गैंगस्टर मारा गया। इसके बाद से ही शिबू सोरेन आवास की तरफ सजने वाले इस मार्केट को उजाड़ दिया गया है। लेकिन इन्हें कहीं जगह नहीं दी गई। लंबी लड़ाई के बाद फुटपाथ दुकानदारों को रजिस्ट्री ऑफिस की ओर दुकान लगाने की सहमति बनी। जहां ज्यादा चाय और चाईनीज स्टॉल ही हैं। लेकिन सब्जी, फल और दूसरे विक्रेताओं को अबतक स्थान नहीं दिया गया है। मोरहाबादी के दुकानदारों के लिए वेंडर मार्केट से लेकर नाइट मार्केट तक बनाने का निर्णय लिया गया। लेकिन अबतक सब फेल ही हुए हैं। करीब पांच करोड़ की लागत से नाइट मार्केट का निर्माण करने का निर्णय लिया भी गया। इसके आधार पर कुछ बहुत काम तो हुआ, लेकिन दुकानदारों को व्यवस्थित करने में निगम फेल रहा।
प्लान तो बना पर नहीं हुआ काम
गौरतलब है कि मोरहाबादी में लगभग 300 दुकानदार फास्ट फूड, चाय, भोजन आदि की दुकानें लगाते हैं। इसके अलावा करीब 200 सब्जी और फल की दुकान लगाते हैं। इन्हें व्यवस्थित करने के लिए मोरहाबादी ग्राउंड के समीप ही वेंडर मार्केट बनाने का भी निर्णय लिया गया था। करीब आठ महीने पहले नगर निगम ने छह महीने का समय देते हुए मार्केट निर्माण का आदेश दिया था। लेकिन कोर्ट के आदेश को भी नगर निगम पूरा नहीं कर सका है। मोरहाबादी मैदान के जिस स्थान पर वेंडर मार्केट बनाने का निर्णय लिया गया था, वहां टाना भगतों ने इसका विरोध कर दिया, जिसके बाद से यह प्रोजेक्ट ठंडे बस्ते में है। मोरहाबादी स्थित पानी टंकी के समीप वेंडर मार्केट का निर्माण करने का निर्णय लिया गया था। पांच करोड़ रुपए की लागत से इस मार्केट को तैयार किया जाना था। इसके अलावा ग्राउंड का भी ब्यूटीफिकेशन भी होना था। लेकिन, कोई काम नहीं हुआ। दूसरी ओर आम लोगों की परेशानी जस की तस बनी हुई है।
क्या कहती है पब्लिक
मोरहाबादी मैदान ही नहीं सिटी के सभी इलाके अव्यवस्थित हैं। हर जगह सड़क पर दुकाने सजती हैं। निगम कुछ को स्थान देता है, लेकिन अन्य सभी सड़क पर ही रह जाते हैं।
- विकास कुमार

राजधानी में पांच हजार से अधिक फुटपाथ दुकान हैं। नगर निगम सिर्फ पांच सौ को स्थान उपलब्ध कराता है, ऐसे में समस्या का समाधान कैसे होगा।
- अश्फाक अहमद

नगर निगम चाहता ही नहीं समस्या का समाधान हो। ऐसा करने से निगम की ऊपरी कमाई बंद हो जाएगी। पब्लिक को परेशानी से निगम को कोई मतलब नहीं।
- विजय तिर्की

राजधानी रांची में सड़क-नाली का एन्क्रोचमेंट कर दुकानें सज रही हैं। ठेकेदारों ने अवैध पार्किंग कर ली है, लेकिन निगम को कोई मतलब नहीं है।
- सुजीत कुमार