रांची: अगर आपके पास 300 रुपए हैं तो आप भी वीआईपी बन सकते हैं। बस आपको इतना लिखकर देना है कि किस व्यक्ति या किस पद को बोर्ड लिखवाना है। रांची में सभी जगहों पर नेम प्लेट लिखने वाले लोग बिना किसी कागज मांगे किसी का भी बोर्ड बना सकते हैं। यह हाल तब है जबकि झारखंड हाईकोर्ट ने हाल ही में वीआईपी कल्चर खत्म करने के लिए सरकार को निर्देश दिया है कि वो गाडि़यों में नेमप्लेट का बोर्ड लगाकर नहीं चले। इस आदेश का क्या हश्र है, उसका अंदाजा इसी से लग सकता है कि आज भी बेरोक-टोक किसी भी अधिकारी का नेम प्लेट गाड़ी में लगवा कर लोग वीआइपी बन रहे हैं। जाहिर है, इसके पीछे सरकार की सुस्ती है।

नहीं है किसी का डर

बोर्ड बनाने वाले और नेम प्लेट लिखने वाले लोगों को किसी का डर नहीं है। बिना किसी कागज के बिना किसी नॉलेज के बस छोटी सी जगह पर भी बोर्ड लगाने की दुकान खोल दी है। किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा किसी के भी नाम पर बोर्ड बनाया जा सकता है। बोर्ड बनाने से पहले नेम प्लेट लिखने वाले लोग यह जानना भी नहीं चाहते हैं कि किस व्यक्ति, संस्था के नाम का बोर्ड बनाया जा रहा है। उस व्यक्ति का कोई आईडी कार्ड या कोई कागजात है, जिसके नाम पर यह बोर्ड बनाया जाता है। बोर्ड बनाने वाले लोगों को न तो सरकार के नियम का डर है ना ही किसी कार्रवाई का।

100-700 रुपए में बन रहा बोर्ड

रांची के कोकर, बरियातू, रातू रोड, हरमू, मेन रोड, डोरंडा में नेम प्लेट और बोर्ड लगाने वाले लोगों की दुकान सड़क के किनारे सजी हुई है। यहां पर बस नाम बताने की जरूरत है। एक घंटे में बोर्ड या नेम प्लेट बनकर तैयार हो जाता है। इन दुकानों में 100 रुपए से लेकर 700 रुपए तक का बोर्ड बनाया जाता है। कई दुकानों में तो 700 रुपए तक का बोर्ड रेडियम से भी बनाया जा रहा है जो दूर से ही लाइट करता है। रात के समय में यह बोर्ड चमकता है। हालांकि, अभी तक नेम प्लेट और बोर्ड बनाने वालों के लिए कोई कानून सरकार की ओर से भी नहीं बनाया गया है।

हाईकोर्ट ने वीआइपी कल्चर पर दिखाई है सख्ती

नेम प्लेट और पदनाम लगी गाडि़यों पर झारखंड हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है। हाईकोर्ट ने कहा है कि झारखंड सरकार राज्य में वीआईपी कल्चर को बढ़ावा दे रही है। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत पिछले दिनों गजाला तनवीर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद सरकारी और निजी वाहनों में नेम प्लेट और पदनाम का बोर्ड लगाने वालों के खिलाफ राज्य में कार्रवाई नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने वीईआईपी कल्चर को समाप्त करने के लिए ही वाहनों से बीकन लाइट और नेम प्लेट हटाने का भी निर्देश दिया था। मामले की सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से पक्ष रखते हुए अधिवक्ता फैसल अल्लाम ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि किसी भी वाहन में किसी भी पदनाम और नाम का प्लेट और बोर्ड नहीं लगाया जा सकता, लेकिन झारखंड में इसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकारी अधिकारी से लेकर राजनीतिक दल के कार्यकर्ता और अन्य लोग भी बोर्ड लगा कर चल रहे हैं, लेकिन सरकार कुछ नहीं कर रही है।

बोले सचिव-जल्द नियमावली बनाएंगे

सचिव ने कहा कि छह सप्ताह में नियमावली बना ली जाएगी। नियमावली में यह तय कर लिया जाएगा कि पदनाम का बोर्ड लगाने के लिए कौन अधिकृत होंगे और कौन नहीं। सरकारी वाहनों के लिए भी नियम तय कर लिए जाएंगे। इस पर अदालत ने सचिव को नियमावली तैयार करने के बाद उठाए गए कदम की जानकारी के साथ विस्तृत रिपोर्ट शपथपत्र के माध्यम से दाखिल करने का निर्देश दिया।