रांची(ब्यूरो)। सिटी में भीषण जल संकट शुरू हो चुका है। गर्मी के बढ़ते ही कई इलाकों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। ग्राउंड वाटर लेवल लगातार नीचे जा रहा है, घरों में लगी बोरिंग भी सूखने लगी है। एक ओर जहां लोग बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं वहीं दूसरी ओर कुछ लोग अपनी गाड़ी धोकर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। सोसायटी में पीने के पानी से लोग अपनी कार वॉश कर रहे हैं। तालाबों के किनारे में भी ऑटो और दूसरे वाहन को लोग धोने पहुंच जाते हैं। इसके अलावा गली-गली में खुले वॉशिंग सेंटर संचालक पानी का दोहन कर रहे हैं सो अलग। सब लोग मिल कर पानी की बर्बादी कर रहे हैं। वाहन की धुलाई कर प्रति दिन लाखों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। सिटी के विभिन्न इलाकों में 500 से अधिक वाशिंग सेेंटर हंै। इसमें ज्यादातर इल्लीगल ही हैं। वॉशिंग सेंटर में गाड़ी धुलने के बाद सारा पानी नाले से बह जाता है। सेंटर संचालकों ने हार्वेस्टिंग सिस्टम भी नहीं बना रखा है, जिससे ग्राउंड वाटर रिचार्ज हो सके। वाहन धोने के नाम पर इन सेंटर्स पर बेहिसाब पानी का दोहन हो रहा है। शहर में बिना किसी रोक-टोक के धड़ल्ले से वॉशिंग सेंटरों की संख्या बढ़ती जा रही है।
गाड़ी वॉश के नाम पर पानी बर्बाद
वॉशिंग सेंटर में 60 रुपए से लेकर 300 रुपए प्रति गाड़ी धुलाई की जा रही है। 60 रुपए में टू व्हीलर, 100 रुपए में थ्री व्हीलर और 300 रुपए में फोर व्हीलर की धुलाई हो रही है। इसके अलावा कुछ स्थानों पर बड़े वाहनों की भी वाशिंग हो रही है। इनमें कुछ सेंटर तो नगर निगम की सप्लाई के पानी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। धुलाई सेंटरों में चंद पैसे के लिए गाड़ी धोने के नाम पर हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। प्रशासन से लेकर जिम्मेदार विभाग, सामाजिक संगठन, पर्यावरणविदों और सामाजिक कार्यकर्ता भी सब कुछ देखते हुए चुप्पी साधे हुए हंै। एक सर्विस सेंटर पर एक दिन में करीब 50 बाइक और 30 से 40 कार की धुलाई होती है। एक अनुमान के मुताबिक, चार पहिया में 120 लीटर व दो पहिया वाहनों की धुलाई में लगभग 70 लीटर पानी खर्च होता है। वाशिंग सेेंटर के अलावा कार और बाइक के सर्विस सेंटर में भी हर दिन हजारों लीटर पानी बर्बाद किया जा रहा है। जिस तेजी से वाहनों की संख्या बढ़ रही है, उस अनुपात में वाहन धुलाई में खर्च होने वाले पानी की मात्रा भी बढ़ती जा रही है।
प्लांट कर रहा ग्राउंड वाटर का दोहन
एक ओर पानी के लिए लोग तरस रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर विभिन्न माध्यमों से पानी की चोरी और बर्बादी हो रही है। सिटी में मनोरंजन के लिए खुले वाटर पार्क में बिना एनओसी जल का दोहन हो रहा है। आरओ वाटर प्लांट, शहर की डेयरियों में सब-मर्सिबल से भूमिगत जल का दोहन किया जा रहा है। इन सबसे ज्यादा आरओ वाटर प्लांट के नाम पर ग्राउंड वाटर का दोहन किया जरा रहा है। राजधानी रांची सहित राज्य भर में बिना किसी गाइडलाइन का पालन किए अनेकों वाटर प्लांट ऑपरेट हो रहे हैं। प्लांट के कारोबारी जमीन का सीना चीर कर पानी निकाल रहे हैं और उसे मनमानी कीमत पर बेच कर मालामाल हो रहे हैं। घरों की बोरिंग से पानी गंदा आने की वजह से ज्यादातर लोग बोतल बंद या जार वाले पानी पर आश्रित होते जा रहे हैं।
गली-गली वाटर प्लांट
सरकारी निर्देशों की अनदेखी कर धड़ल्ले से शहर के मुख्य इलाकों के साथ-साथ गली-मुहल्लों में भी बॉटलिंग प्लांट खोल दिए गए हैं। आम लोगों को पीने के पानी के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है, लेकिन पानी के धंधेबाज अपनी मर्जी से बिना किसी की अनुमति के ही प्लांट लगाकर मोटी कमाई कर रहे हैं। राजधानी के ही अलग-अलग हिस्सों में फिलहाल 1000 से ज्यादा आरओ वाटर प्लांट संचालित हो रहे हैं। यह सभी प्लांट बिना किसी गाइडलाइन के अवैध तरीके से चल रहे हैं। ऐसे प्लांट या दुकान 30 से 35 रुपए में 20 लीटर पानी जार में भर कर बेच रहे हैं। प्लांटों को चलाने के लिए प्लांट संचालक और कंपनियों ने तीन से चार बोरिंग करा रखी है। प्लांट में पानी को फिल्टर कर इसकी बॉटलिंग कर बेचा जाता है। फिल्टर करने में भी पानी की भारी बर्बादी होती है।

क्या कहती है पब्लिक
पीने को पानी नहीं है, लेकिन जगह-जगह पानी की बर्बादी हो रही है। कहीं लिकेज तो कहीं ओवर फ्लो से पानी बर्बाद किया जा रहा है। इसे रोकने-टोकने वाला कोई नहीं है। नदी-तालाब भी अतिक्रमण की भेंट चढ़ते जा रहे हैं।
-सुनीता

गाड़ी धोने में हर दिन हजारों लीटर पानी की बर्बादी हो रही है। इसके अलावा बड़े-बड़े होटल व अन्य स्थानों में भी पानी की चोरी होती है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति तक पानी नहीं पहुंच पाता है।
-अनिल

गली-गली में कुकुरमुत्ते की तरह आरओ वाटर प्लांट खुल गए हैं। हमारा ही पानी हमें ही ये लोग बेच रहे हैं। प्लांट के आसपास में रहने वाले लोगों के घरों की बोरिंग पर भी असर पड़ रहा है। इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
- राजीव

पानी जीवन के लिए बेहद जरूरी है। यह प्रकृति द्वारा दिया गया अनमोल उपहार है। लेकिन कुछ लोगों ने इसका व्यावसायीकरण कर दिया है। ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनपर कार्रवाई की जानी चाहिए।
- गुप्तेश्वर सिंह

क्या कहते हैं जिम्मेदार
सिटी में बिना परमिशन गली-मोहल्लों में चल रहे बॉटलिंग प्लांट पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके लिए वाटर सप्लाई मॉनिटरिंग कमिटी का गठन किया गया है। प्लांट के एनओसी की जांच कर इल्लीगल पाए जाने पर संचालक पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।
-सौरभ प्रसाद, एएमसी, रांची