रांची (ब्यूरो)। राजधानी रांची की 60 प्रतिशत आबादी सप्लाई वाटर पर निर्भर है, लेकिन 50 साल से भी अधिक पुरानी हो चुकी यह पाइपलाइन अब जर्जर हो गई है। सिटी के कई इलाकों में अक्सर पाइपलाइन फटने और गंदे पानी की सप्लाई की शिकायतें आती हैं। इसे देखते हुए शहर के पुराने और जर्जर हो चुके पाइपलाइन को बदलने का निर्णय लिया गया है। पीएचईडी विभाग की ओर से जल्द ही पुरानी पाइपलाइन को बदलने का काम शुरू करेगा। इसकी योजना तैयार हो चुकी है। नई पाइपलाइन का काम पूरा हो जाने के बाद लोगों को साफ पानी मिलने लगेगा।

50 साल पुरानी पाइपलाइन

सिटी की वाटर सप्लाई की पाइपलाइन 50 साल से भी अधिक पुरानी है। कई जगह पाइप के अंदर और बाहर जंग लग चुका है। इससे पानी के साथ लोहे के कण की भी सप्लाई होती है, जो कि सेहत के लिए काफी नुकसानदेह है। इसके अलावा पाइपलाइन के लीकेज होने की स्थिति नाले का पानी पाइप में जाने से पानी दूषित हो जाता है है। पीएचईडी विभाग के एक इंजीनियर ने बताया कि शहर के अधिकतर स्थानों पर डक्टाइल आयरन (डीआई) पंप बिछा हुआ है। इसके अंदर जंग (रस्ट ऑफ आयरन) लग जाते हैं। यह थोड़ा-थोड़ा पानी में भी मिक्स होता रहता है। पाइपलाइन के ज्यादा पुराना होने के कारण पानी में अशुद्धियां आ जाती है। इसे देखते हुए एक निश्चित समय के बाद पाइपलाइन बदलना जरुरी होता है। फेरुल कनेक्शन की मदद से लोगों के घरों तक पानी पहुंचता है। जिस स्थान पर फेरुल कनेक्शन है वहां नगर निगम की नालियां बन गई हैं। इससे सीवर का गंदा पानी भी लोगों के घरों में पहुंच रहा है।

रोज 3 एमजीडी पानी बर्बाद

पुरानी और जर्जर हो चुकी पाइपलाइन जहां-तहां खराब हो चुकी है। आलम यह है कि डैमेज पाइपलाइन से हर दिन करीब 3 एमजीडी पानी बर्बाद हो जाता है। बूटी जलागार से जुड़ी पाइपलाइन, रुक्का स्थित पुराने पंप हाउस से जुड़ी पाइपलाइन में लगातार लीकेज की समस्या आती रहती है। पंप हाउस से जुड़ी पाइपलाइन में अनगिनत लीकेज हैं। पाइप जर्जर होने का नतीजा है कि फिल्टर किया पानी भी गंदा हो जाता है। राजधानी रांची में हर दिन कहीं ना कहीं पाइपलाइन फटकर हजारों लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इस भीषण गर्मी में जब सबसे ज्यादा जरूरी पानी है उस स्थिति में भी पानी किसी जरूरतमंद की जरूरत नहीं बन कर नाले में बह कर बर्बाद हो रहा है। सिटी में कुछ ऐसे भी स्थान हैं जहां साल 1966 में पाइपलाइन बिछाई गई थी। यह अब काफी कमजोर हो चुकी है।

हटिया, रुक्का से सप्लाई

शहर के पूरे इलाके में तीन डैम कांके, हटिया और रुक्का से पानी की सप्लाई होती है। इन डैम की कैपिसिटी भी काफी ज्यादा है। हटिया डैम में 30 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी के भंडारण की क्षमता है, जबकि रूक्का डैम की कैपेसिटी 180 एमसीएम है। हटिया डैम अपनी क्षमता के अनुसार कभी भरता नहीं है। बारिश के बावजूद भी यहां करीब 12 एमसीएम पानी कम ही रहता है। ऐसे में विभाग की तरफ से हटिया डैम की क्षमता के अनुसार यहां पानी स्टोर करने की भी योजना तैयार की जा रही है। इसके तहत दूसरे जल श्रोत से पानी लाकर हटिया डैम को भरा जाएगा। इसके अलावा सिटी के दर्जनों पानी टंकी को चिन्हित किया गया है, जो काफी पुरानी हो चुकी हैं। इन पानी टंकियों से पानी रिसने की शिकायत हमेशा आती रहती है। पानी की नई टंकियां बनाने पर भी विभाग विचार कर रहा है।

राजधानी रांची की सप्लाई वाटर पाइपलाइन और दो दर्जन से अधिक पानी की टंकियां भी पुरानी हो गई हैं। अब सरकार की तरफ से इन्हें बदलने का काम शुरू किया जाएगा।

प्रशांत कुमार, सचिव, पेयजल व स्वच्छता विभाग, झारखंड