रांची: राजधानी के खुदरा शराब दुकानदार इन दिनों सरकार से गुजारिश कर रहे हैं कि हुजूर उत्पाद नियमावली में कुछ संशोधन कीजिए और हमारा लाइसेंस वापस ले लीजिए। क्योंकि हम लोग अपनी शराब दुकानें अब चलाने में सक्षम नहीं हैं। राजधानी में कोरोना काल में शराब की कम बिक्री के कारण दुकानदार अपना खर्च भी नहीं निकाल पा रहे हैं। हर दिन बढ़ते कर्ज के कारण शराब दुकानदार अपना लाइसेंस उत्पाद विभाग को वापस करना चाहते हैं। लेकिन उनके बीच यह परेशानी आ रही है कि अगर वह बीच समय में अपना लाइसेंस सरेंडर करते हैं तो उन्होंने उत्पाद विभाग को जो सिक्योरिटी डिपॉजिट की है वो उनको नहीं मिल पाएगा। अब शराब दुकानदार नियमावली में संशोधन करने की गुहार सरकार से लगा रहे हैं।

कोटा हुआ कम फिर भी बिक्री नहीं

इस समय लोग शराब का सेवन कम कर रहे हैं। यही कारण है कि शराब दुकान नहीं चल रही है। उत्पाद विभाग अपनी तरफ से शराब दुकानदारों की मदद कर रहा है, लेकिन जब लोग ही शराब पीने के लिए नहीं आएंगे तो दुकानदार या उत्पाद विभाग क्या कर सकता है। उत्पाद विभाग में खुदरा शराब दुकानदारों का जो कोटा 9 परसेंट तक निश्चित उठाना था, उसे घटाकर 6 परसेंट कर दिया है। इसके बावजूद शराब दुकानदार अपना कोटा नहीं पूरा कर पा रहे हैं और उनका माल पड़ा रह जा रहा है। एक शराब दुकानदार ने बताया कि दुकान का किराया, स्टाफ्स का पेमेंट और सरकार का जो फिक्स है, वो देने के बाद हम लोग भारी घाटे में चल रहे हैं।

तो जब्त होगी सिक्योरिटी मनी

झारखंड उत्पाद नियमावली के अनुसार, कोई भी खुदरा शराब दुकानदार जो लाइसेंसी है वो अपनी दुकान सरेंडर साल के अंतिम फाइनेंशियल महीने में ही कर सकते हैं। अगर बीच में वह अपना लाइसेंस सरेंडर करते हैं तो उन्होंने जो सिक्योरिटी मनी जमा किया है वो उनको नहीं मिल पाएगा। झारखंड में नई उत्पाद नियमावली के तहत खुदरा शराब दुकानों को 3 साल तक का लाइसेंस दिया है। लेकिन अगर वह अपनी दुकान चलाने को तैयार नहीं हैं तो 1 साल के बाद नए फाइनेंसियल ईयर में अपनी दुकानों को सरेंडर कर सकते हैं। लेकिन बीच में कोई भी लाइसेंसी दुकान सरेंडर नहीं करेगा।

35 परसेंट कम हुआ सेल

उत्पाद विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि इस कोरोना काल में दुकानदारों को परेशानी तो हो रही है, लेकिन उत्पाद विभाग उनको पूरा सहयोग कर रहा है। मार्च महीने से जुलाई तक पूरे राज्य में 550 कऱोड़ रुपए राजस्व की वसूली अब तक की गई है जो काफी कम है। विभाग के अनुसार, काफी कोशिश और रियायतें देने के बाद भी 60 से 70 परसेंट तक ही सेल हो पा रहा है, जिसके कारण शराब दुकानदारों को परेशानी हो रही है।

कस्टमर से डेली लड़ाई

मेन रोड स्थित शराब दुकान के एक दुकानदार ने बताया कि इन दिनों हर दिन कस्टमर के साथ लड़ाई हो रही है। क्योंकि सरकार ने जो पुराना प्रिंट रेट दिया है कस्टमर उसी प्रिंट रेट पर शराब खरीदना चाहते हैं। जबकि सरकार ने 10 परसेंट अलग से लेने का निर्देश दुकानदारों को दिया है। इसको लेकर दुकानदार और कस्टमर के बीच हर दिन तू-तू मैं-मैं हो रही है। जब तक सरकार बोतल पर नया प्रिंट रेट नहीं लगाती है ये परेशानी आती रहेगी। उत्पाद विभाग द्वारा बार-बार कहा जा रहा है कि जल्द ही नया प्रिंट रेट का सामान उपलब्ध कराया जाएगा, लेकिन अब तक उपलब्ध नहीं कराया गया है।