रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में बिकने वाले अधिकतर फ्लैट्स मनमाने तरीके से बेचे जा रहे हैं। जितने भी बिल्डर शहर में नया अपार्टमेंट बनाकर लोगों को फ्लैट बेच रहे हैं वो रांची नगर निगम से बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट लिये ही लोगों को फ्लैट बेच रहे हैं। जबकि नियम के अनुसार, किसी भी फ्लैट की रजिस्ट्री बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं हो सकती है। लेकिन राजधानी रांची में इस नियम की पूरी तरह से धच्जियां उड़ाई जा रही हैं। बिल्डर शुरुआत में रांची नगर निगम से सिर्फ नक्शा पास करवाते हैं उसके बाद ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट लेते ही नहीं हैं। आलम यह है कि राज्य गठन के बाद पिछले 22 सालों में सिटी में 3041 बहुमंजिला भवनों का निर्माण हुआ, लेकिन ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट महज 171 ही जारी हुए। यानी 2870 अपार्टमेंट्स बिना ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट लिये ही बेच दिए गए।

क्यों नहीं लेते ओसी

बिल्डर अपार्टमेंट बनाने के बाद इसलिए ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं लेते हैं क्योंकि वो नक्शा का विचलन करके अपार्टमेंट बनाते हैं। रांची नगर निगम द्वारा तय नियम और शर्तों के साथ उन्हें अपार्टमेंट बनाने की अनुमति दी जाती है। लेकिन, वास्तव में उस नियम और शर्त के अनुसार अपार्टमेंट का निर्माण नहीं किया जाता है। बिल्डर मनमाने तरीके से अपार्टमेंट का निर्माण करते हैं। जबकि ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट देने के समय रांची नगर निगम की टीम द्वारा नक्शा के अनुसार अपार्टमेंट निर्माण की जांच करती है। इसी जांच से बचने के लिए बिल्डर ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट नहीं ले रहे हैं।

नियम की धज्जियां

राजधानी में बहुमंजिला भवन बनाने का प्रचलन राच्य गठन के समय से ही बढ़ा है। समय के साथ अपार्टमेंट कल्चर और कॉमर्शियल बिल्डिंग मिडिल और अपर क्लास की पहली पसंद बन गई है। लेकिन मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में जीवन सिमटने के साथ असुरक्षित भी हो गया। क्योंकि रांची में अफसरों और बिल्डरों के गठजोड़ से मल्टी स्टोरी बिल्डिंग में नेशनल बिल्डिंग कोड और बिल्डिंग बायलॉज के नियमों की धच्जियां उड़ाई जा रही हैं। पहले आरआरडीए और अब नगर निगम भवन का नक्शा पास करता है। नक्शा में सब कुछ नियम और कानून के तहत होता है, लेकिन बिल्डिंग वैसा ही बनता है जैसा बिल्डर चाहता है।

जांच करने वाला कोई नहीं

बहुमंजिली बिल्डिंग बनाने वाले डेवलपर को नियम और शर्तों के अनुसार बिल्डिंग बनाने के बाद निगम में कंप्लीशन सर्टिफिकेट देना होता है। इसी के बाद निगम ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट जारी करता है। इससे पहले टाउन प्लानिंग सेक्शन के इंजीनियर बिल्डिंग की जांच करते हैं। इसमें देखा जाता है कि नक्शा के अनुरूप बिल्डिंग बनी है या नहीं। वहां सीढ़ी, लिफ्ट, बालकनी, बिल्डिंग तक जाने वाली सड़क की चौड़ाई, पार्किंग, जेनरेटर रूम, रैंप, आपात निकास द्वार, रेन वाटर हार्वेस्टिंग, इमरजेंसी वाटर टैंक की व्यवस्था है या नहीं। अधिकतर बिल्डिंग में इन शर्तों का पालन नहीं होता, इसलिए बिल्डर निगम को कंप्लीशन सर्टिफिकेट देते ही नहीं हैं।

क्या है रूल

-जी प्लस 4 से ऊपर भवन के लिए कम से कम 30 फीट चौड़ी सड़क होनी चाहिए।

-अपार्टमेंट में आगजनी से निपटने के लिए बिल्डिंग के चारों तरफ 15 फीट चौड़ा सेटबैक छोडऩा जरूरी है, ताकि अग्निशमन वाहन घूम सके।

-बिल्डिंग में दो तरफ सीढ़ी होनी चाहिए, ताकि आग लगने या आपात स्थिति में एक से निकला जा सके।

-अपार्टमेंट में अंडरग्राउंड और ओवरहेड वाटर टैंक अनिवार्य है, ताकि आग लगने पर पानी से बुझाई जा सके।

-अपार्टमेंट के सभी फ्लैट, कॉमर्शियल बिल्डिंग की सभी दुकानों में फायर अलार्म अनिवार्य है। धुआं फैलने पर लोगों को अलर्ट करेगा।

राजधानी रांची में जितने भी अपार्टमेंट का नक्शा रांची नगर निगम द्वारा जारी किया गया है, उसके अनुसार ही भवनों का निर्माण करना है। कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद सभी डेवलपर को रांची नगर निगम से ऑक्युपेंसी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य है। ऐसा नहीं करने वालों पर कार्रवाई की जाएगी।

-कुंवरसिंह पाहन, अपर नगर आयुक्त, आरएमसी