व‌र्ल्ड यूथ आर्चरी चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली कोमोलिका बारी पहुंची रांची

रांची : पोलैंड में व‌र्ल्ड यूथ आर्चरी चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने के बाद कोमोलिका बारी बुधवार को रांची पहुंची, जहां खेल उपनिदेशक विनय कुमार मिश्र और रांची डिस्ट्रिक्ट एसोसिएशन ने उनका स्वागत किया गया। एयरपोर्ट पर कोमोलिका ने बताया कि अब उसका अगला लक्ष्य आगामी सीनियर व‌र्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड पर निशाना साधना है। इसके लिए बेहतर तैयारी करना जरूरी है जिस पर सारा ध्यान रहेगा। उन्होंने बताया कि व‌र्ल्ड यूथ आर्चरी चैंपियनशिप में उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन रहा। अब अगले इवेंट की तैयारी में पूरी तरह से जुट जाना है।

जमशेदपुर रवाना हुईं

यहां से कोमोलिका बारी जमशेदपुर के लिए निकल गईं। कैडेट विश्वकप में स्वर्ण पदक जीतने पर रांची जिला तीरंदाजी संघ ने हर्ष व्यक्त किया है। संघ की अध्यक्ष नेहा महतो ने ने कहा कि कोमोलिका ने पोलैंड में शानदार प्रदर्शन करते हुए अंडर 21 महिला वर्ग का स्वर्ण अपने नाम कर बड़ी उपलब्धि हासिल की है। अंडर 18 और अंडर 21 का स्वर्ण जीतने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज है उससे पहले दीपिका कुमारी ने यह उपलब्धि हासिल की थी। मुझे उम्मीद है कि आने वाले समय में कोमोलिका और भी बेहतर प्रदर्शन करेगी। संघ के सचिव चंचल भट्टाचार्य ने कहा कि आगे आने वाले टूर्नामेंटों में कोमोलिका राज्य और राष्ट्र का गौरव बढ़ाएगी।

मंगलवार को केंद्रीय युवा मामले व खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने पोलैंड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले खिलाडि़यों से मुलाकात की थी। उन्होंने खिलाड़यों के शानदार प्रदर्शन को जमकर सराहा था.भारतीय तीरंदाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए टूर्नामेंट से आठ स्वर्ण, दो रजत और पांच कांस्य जीता है। टूर्नामेंट में कुल 15 पदक मिले थे। इसमें कोमोलिका बारी ने चैंपियनशिप में जूनियर मिश्रित टीम में पार्थ सालुंखे के साथ दो स्वर्ण पदक जीता है।

दो साल पहले जीती थी

कोमोलिका ने दो साल पहले मैड्रिड में यूथ व‌र्ल्ड्स में अपना पहला व्यक्तिगत खिताब जीता था। कोमालिका बारी जमशेदपुर की रहने वाली हैं। 2012 में आइएसडब्ल्यूपी तीरंदाजी सेंटर से उसने करियर की शुरुआत की थी। कोमालिका को 2016 में टाटा आर्चरी एकेडमी में प्रवेश मिला था। इसके बाद उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा। मार्च में देहरादून में आयोजित 41वीं एनटीपीसी जूनियनर आर्चरी नेशनल चैंपियनशिप में कोमोलिका महिलाओं की व्यक्तिगत स्पर्धा में राष्ट्रीय चैंपियन रही थी। तीन वर्षों में कोमालिका ने डेढ़ दर्जन राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पदक जीते हैं।