रांची (ब्यूरो) । बच्चों को रियल और रील फ्रेंड्स का अंतर समझना होगा। अभी से ही उनको अगर यह समझ आ जाएगी तो आगे के जीवन में यह बहुत महत्वपूर्ण होगा। रियल और रील फ्रेंड्स के चक्कर में लोगों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। इसको लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से फेक फ्रेंड्स को लेकर लगातार स्कूल-कॉलेजों के बच्चों को अवेयर किया जा रहा है। इसी क्रम में सेंट पॉल कॉलेज बहु बाजार में स्टूडेंट्स को रियल और रील फ्रेंड्स के बारे में बताया गया। एक्सपर्ट के रूप में सीआईपी के क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ धीरज कुमार सिंह और काउंसलर कृष्णा स्नेह ने अवेयर किया।
मेंटल हेल्थ पर असर कर रहा स्मार्टफोन
सीआईपी के डॉ अभिजीत कुमार सिंह ने स्टूडेंट्स को बताया कि स्मार्टफोन के कारण लोगों के मेंटल हेल्थ पर असर पडऩे लगा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, स्मार्टफोन का यूज सबसे अधिक युवा कर रहे हैं। इस उम्र में युवाओं को स्मार्टफोन देखने की लत लग गई है। इसे हटाना बहुत जरूरी है, नहीं तो मानसिक, शारीरिक और करियर पर भी इसका असर पड़ता है। बहुत अधिक फोन देखने के कारण स्कूल-कॉलेज में पढऩे वाले स्टूडेंट्स कंसंट्रेट नहीं कर पाते हैं, जब भी उनको पढ़ाई करने का मन करता है, वो कुछ देर पढ़ते हैं उसके बाद फिर से मोबाइल देखने लग जाते हैं। आजकल कम उम्र के बच्चों को नींद नहीं आने की परेशानी भी होने लगी है। यह परेशानी सिर्फ मोबाइल अधिक देखने वाले बच्चों के साथ हो रही है। इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि रुटीन बनाकर मोबाइल देखना शुरू करें। लगातार 1 घंटे या 2 घंटे तक मोबाइल नहीं देखें, 20 मिनट मोबाइल देख रहे हैं, उसके बाद उसे बंद कर दें फिर से 1 घंटे बाद 20 मिनट के लिए मोबाइल का इस्तेमाल करें। स्मार्टफोन का अधिक इस्तेमाल करने से सोशल एंजायटी भी बढ़ रही है। बच्चे एकांत चाहने लगे हैं। अकेले में बात करते हैं। चिड़चिड़ा हो जा रहे हैं। इसलिए मोबाइल का कम इस्तेमाल बहुत जरूरी है। बच्चों के पैरेंट्स को भी ध्यान देने की जरूरत है कि उनके बच्चे मोबाइल का अधिक इस्तेमाल कर रहे हैं तो उन्हें रोका जाए।
रियल कम रील अधिक हो गए
काउंसलर कृष्णा स्नेह ने स्टूडेंट्स को बताया कि मोबाइल किस तरह से उनके जीवन पर गलत असर डाल रहा है। उन्होंने बताया कि जीवन में दोस्त होना बहुत जरूरी है। लेकिन यह इवैल्यूएशन करना भी बहुत जरूरी है कि कौन दोस्त रियल है और कौन दोस्त फेक है। हर स्टूडेंट को अपने टाइम का कैलकुलेशन करना बहुत जरूरी है, उसे हर दिन यह कैलकुलेट करना जरूरी है कि उसने पूरे दिन में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कितना समय दिया और कितना बेहतर नॉलेज के लिए दिया और कितना एंटरटेनमेंट के लिए दिया। आजकल टेक्नोलॉजी की दुनिया में स्टूडेंट्स को मोबाइल से कनेक्ट रहना भी बहुत जरूरी है, लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल नॉलेज प्राप्त करने के लिए करना चाहिए, एंटरटेनमेंट करने से समय और करियर दोनों बर्बाद हो रहे हैं। आजकल पढ़ाई में भी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल बहुत अधिक हो गया है। इसलिए मोबाइल का इस्तेमाल जरूरी है। पैरेंट्स को भी मजबूरी हो गया है कि बच्चों को पढ़ाने के लिए पर्सनल मोबाइल देना है, अब अगर बच्चे बेहतर कंटेंट मोबाइल में देख रहे हैं तो उनको लाभ होगा। बच्चों को यह समझने की जरूरत है कि उनकी जिन्दगी में कौन दोस्त अच्छा है और कौन दोस्त खराब है। आजकल सोशल मीडिया में गलत लोगों से दोस्ती हो जा रही है। गलत सलाह दे रहे हैं और गलत काम के लिए प्रेरित कर रहे हैं, इसलिए अपने दोस्तों का इवैल्यूएशन करना बहुत जरूरी है कि वो कितने सही हैं। सोशल मीडिया वाले दोस्तों को जो नहीं जानते हैं, उनके साथ कम्युनिकेशन नहीं करना चाहिए।


आजकल बच्चे मोबाइल बहुत अधिक देख रहे हैं। मोबाइल पर कौन सा कंटेंट देख रहे हैं, यह कोई नहीं जानता। जब कॉलेज में पहुंच जात जाते हैं सभी को पर्सनल मोबाइल मिल जाता है। इसलिए स्टूडेंट्स को खुद से तय करना है कि वह सोशल मीडिया के फेक फ्रेंड्स के साथ रहेंगे या रियल फ्रेंड्स के साथ रहेंगे। दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की ओर से स्टूडेंट्स के लिए इस तरह का अवेयरनेस वाला प्रोग्राम करने के कारण स्टूडेंट्स को काफी मदद मिलेगी।
-डॉ अनुज कुमार तिग्गा, प्रिंसिपल, सेंट पॉल कॉलेज, रांची

एक्सपट्र्स की सलाह पर करेंगे अमल
मोबाइल बहुत जरूरी हो गया है। मोबाइल रखना मजबूरी भी है, लेकिन जिस तरह से मोबाइल का गलत इस्तेमाल हो रहा है, हम लोग भी परेशान हैं। एक्सपर्ट द्वारा जो बताया गया कि टाइम कैलकुलेट करके मोबाइल का इस्तेमाल करना है। इसे अपने जीवन में लागू जरूर करेंगे। तुरंत तो मोबाइल देखना कम नहीं हो सकता, लेकिन कोशिश करेंगे कि धीरे-धीरे जरूर कम हो जाए।
-नकुल कुमार