जोधपुर की अदालत ने आसाराम की दलीलों को नहीं माना. लेकिन उनके वकीलों का कहना है कि वो इसके खिलाफ हाई कोर्ट में जमानत की याचिका दाखिल करेंगे.

उनके वकीलों ने कहा कि वो अभी अदालत के निर्णय को पढ़ नहीं पाए हैं. इसका अध्य्यन करने के बाद ही वो आगे कदम उठाएंगे.

लेकिन उन्होंने कहा, "हमारे तर्क मज़बूत थे, लेकिन ये अदालत का विवेकाधिकार होता है. अब जो भी कानूनी कदम होगा, हम उठाएंगे."

आसाराम 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं और उन्हें जोधपुर की जेल में रखा गया है. आसाराम को जोधपुर पुलिस ने इंदौर से गिरफ्तार किया था.

आसाराम के वकील उन पर लगाए गए आरोपों को गलत बताते हैं.

'जांच होगी प्रभावित'

अतिरिक्त महाधिवक्ता आनंद पुरोहित ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने जो दलीलें दी हैं, उन्हें अदालत ने उल्लेखनीय माना.

"जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों को धमकी दी जा रही हैं. उन्हें घूस की पेशकश की गई है और प्रभावित करने का प्रयास किया गया है."

-आनंद पुरोहित, सरकारी वकील

उन्होंने कहा, “हमने पीड़िता का जन्म प्रमाण पत्र भी पेश किया ताकि ये बताया जा सके कि वो नाबालिग है.”

सरकारी वकील ने कहा कि जांच के बीच में रिहाई से आसाराम जांच को प्रभवित कर सकते हैं और गवाहों को गुमराह कर सकते हैं.

आनंद ने अदालत को ये भी बताया, “जांच से जुड़े पुलिस अधिकारियों को धमकी दी जा रही हैं. उन्हें घूस की पेशकश की गई है और प्रभावित करने का प्रयास किया गया है.”

आसाराम के एक सहयोगी शिवा भी गिरफ्तार किए गए हैं और पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है.

इस दौरान आसाराम ने अपनी तबीयत खराब होने की शिकायत की जिसके बाद दो डॉक्टरों ने उनका मुआयना किया और उन्हें स्वस्थ्य बताया.

आरासाम के समर्थको में गुस्से को देखते हुए अदालत के बाहर सुरक्षा के कड़े इंताजाम थे.

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