-मरीजों में कालाजार का लक्षण मिलने के बाद हरकत में आया महकमा

-स्वास्थ्य विभाग ने प्रभावित क्षेत्रों शुरू कराया दवा का छिड़काव

डेंगू-मलेरिया के बीच अब बनारस को कालाजार भी डराने लगा है। आप भी थोड़ा सावधान हो जाइये। क्योंकि हो सकता है आपके आस-पास कालाजार जीवों ने डेरा जमा लिया हो। इसलिए आसपास साफ सफाई कर लीजिए। आप सोच रहे होंगे कि हम कैसे कह सकते हैं कि कालाजारएक्टिव है। दरअसल अस्पताल में आने वाले मरीजों में कालाजार के लक्षण मिलने लगे हैं। हालांकि डेंगू-मलेरिया की तरह कालाजार न फैले, उससे पहले स्वास्थ्य विभाग ने इसके रोकथाम और बचाव को लेकर तैयारी शुरू कर दी है। शहर में कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में 'सिंथेटिक प्राइरेथ्रायड' कीटनाशक छिड़काव शुरू करा दिया गया है। स्वास्थ्य अधिकारियों की मानें तो तीन मरीजों में कालाजार के लक्षण पाये गए। जिसे बीएचयू के एसएस हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया था।

क्या है कालाजार

डॉक्टर्स की मानें तो कालाजार एक संक्रामक बीमारी है। इसे काला बुखार भी कहते हैं जो परजीवी 'लिश्मैनिया डोनोवानी' के कारण होता है। कालाजार परजीवी बालू मक्खी से फैलता है। इलाज में देर करने पर हाथ, पैर और पेट की त्वचा भी काली पड़ जाती है। इसी कारण इसे कालाजार कहते हैं। कालाजार की गंभीरता चरणबद्ध तरीके से बढ़ती है और अगर इसका उपचार न किया गया तो यह जानलेवा बीमारी बन सकती है। इस परजीवी का जीवन चक्र मनुष्य और बालू मक्खी के ऊपर निर्भर करता है। यह परजीवी अपने जीवन का ज्यादातर समय मनुष्यों के शरीर में रहकर बिताता है।

छह फीट ऊंचाई तक छिड़काव

जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि अर्जुनपुर और हरपालपुर जैसे कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में विभाग का मेन फोकस है। उन एरिया के हर एक घर में बालू मक्खी को खत्म करने के लिये छि़डकाव किया जायेगा। घरों के अंदर की दीवारों पर छह फीट की ऊंचाई तक दवा का छिड़काव किया जायेगा। इसके छिड़काव के बाद गोबर या किसी प्रकार का लीपापोती नहीं करनी है।

छह माह तक निगरानी जरुरी

कालाजार के लक्षणों के दिखने पर रोगी को तुरंत नजदीकी अस्पताल या प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भेजना चाहिए। कालाजार से प्रभावित, जो मरीज ठीक हो चुके होते हैं, उनकी 6 माह तक निगरानी बेहद जरुरी है।

मादा बालू मक्खी ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जो छायादार, नम तथा जैविक पदाथरें से परिपूर्ण हों। इनके जीवित रहने की अवधि सामान्यत: 16-20 दिन ही होती है, जिन घरों में बालू मक्खियां पाई जाती है, उन घरों में कालाजार के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। बालू मक्खी कम रोशनी वाली और नम जगहों जैसे कि मिट्टी की दीवारों के दरारों, और कम मिट्टी, जिसमें बहुत से जैविक तत्व और उच्च भूमिगत जल स्तर हो, आदि में पनपती है।

ये है कालाजार के लक्षण

-दो सप्ताह से ज्यादा समय से बुखार

-खून की कमी (एनीमिया)

-भूख न लगना

-कमजोरी तथा वजन में कमी होना

-सूखी, पतली, परतदार त्वचा

-बालों का झड़ना

पिछले दिनों आए कुछ मरीजों में कालाजार के लक्षण देखे गए थे। जिससे बाद उन्हे बीएचयू में एडमिट कराकर ठीक कर दिया् गया। लोगों को इस बीमारी से बचाने और रोकथाम के लिए विभाग की ओर से कार्य योजना बना दी गई है।

-डॉ एसएस कनौजिया, नोडल अधिकारी-संचारी व एसीएमओ

स्वास्थ्य विभाग से निर्देश मिलते ही कार्य योजना तैयार कर ली गई है। कालाजार प्रभावित क्षेत्रों में दवा का छिड़काव शुरू करा दिया गया है।

शरत चंद पांडेय, जिला मलेरिया अधिकारी