सरना नवयुवक संघ द्वारा आयोजित इस समारोह में सिटी के विभिन्न स्कूल्स और कॉलेजों की 32 टीमों ने कुड़ूख, मुंडारी, संथाली, नागपुरी और खडिय़ा भाषा के गीतों पर ग्रुप डांस पेश किया. इस प्रोग्राम में सरना नवयुवक संघ के अध्यक्ष डॉ हरि उरांव ने वेलकम स्पीच दिया. संघ का परिचय सचिव महेश भगत ने दिया. इस प्रोग्राम में सैकड़ों की संख्या में लोग उपस्थित हुए. संडे को पूरे स्टेट में झारखंड का प्रकृति पर्व करमा सेलिब्रेट किया जाएगा. इस पर्व में झारखंड के परंपरागत गीत-संगीत पर लोग झूमते हैं. अगर बात रांची सिटी की जाए तो यहां पर अलग-अलग सरना समितियों द्वारा विभिन्न जगहों पर करमा पर्व मनाया जाएगा.

मांदर के साथ झूमते रहे लोग
सरना आदिवासी गल्र्स हॉस्टल की टीम ने जब कुडु़ख भाषा में ग्रुप डांस पेश किया तो दीक्षांत मंडप में लाल और हरी पार साड़ी में सजी युवतियों के साथ ही पूरा मंडप करमा उत्सव के उल्लास में रंगा हुआ नजर आने लगा. इसके बाद भागीरथी आदिवासी गल्र्स हॉस्टल की टीम ने मुंडारी, संथाली छात्र संघ ने संथाली ग्रुप डांस, क्षेत्रीय भाषा विभाग की रूसिका मुर्मू ने संथाली गीत, मानवशास्त्र की मोनिका हस्स ने मुंडारी गीत, जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा विभाग की टीम ने संथाली ग्रुप डांस, देवराम भगत की टीम ने कुड़ुख गीत के साथ ही 31 टीमों ने डांस और गीत पेश किया. इस प्रोग्राम का समापन सरना नवयुवक संघ रांची के ग्रुप डांस से हुआ.

करम महोत्सव आज  
रांची यूनिवर्सिटी के डॉ राम दयाल मुंडा अखरा मोरहाबादी में संडे को सुबह 11 बजे करम महोत्सव की धूम रहेगी. इसमें झारखंड के जानेमाने संस्कृतिकर्मियों के साथ ही शिक्षाविद और स्टूडेंट्स करम पर्व के गीत-संगीत समारोह में शिरकत करेंगे. इसके साथ ही सरना संघ मोरहाबादी और चडरी सरना समिति में भी कल्चर प्रोग्राम का आयोजन होगा. इसके अलावा सिटी के लगभग एक दर्जन जगहों पर भी करम पर्व को सेलिब्रेट किया जाएगा.

क्या है करमा
करमा पर्व झारखंड प्रकृति से जुड़ा है, जिसे झारखंड में भादो शुक्ल पक्ष एकादशी के दिन धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन अखड़ा में करमा पेड़ की तीन डालियों को पवित्रता पूर्वक गाड़कर उसकी पूजा अर्चना की जाती है. इस दिन कोटवार द्वारा समुदाय के लोगों को करम कथा सुनने के लिए बुलाया जाता है. करमा दउरा या थाली में पूजन सामग्री को तेल, सिंदूर, धूप-हवन, खीरा, चूड़ा, जावा फूल, अरवा चावल, दूध, फल, फूल को सजाकर दउरा में दीपक जलाते हुए अखड़ा में लाते हैं. इस दिन युवक और युवतियां करमा पेड़ के किनारे करमा के गानों पर थिरकते हैं. करमा पूजा के कई चरण होते हैं, जिसमें करमा के लिए जावा उठाना, करम काटने जाते समय पूजन करना, करमा डाल को अखड़ा में गाड़ते समय प्रार्थना करना, पाहन द्वारा करम पूजा करना शामिल है. करम कहानी सुनने से पहले एक मुर्गे की बलि भी दी जाती है.