मंगलवार को ये मामला जब दिल्ली हाई कोर्ट के सामने आया तो न्यायमूर्ति कैलाश गंभीर और सुनीता गुप्ता की खंडपीठ ने केजरीवाल के वकील शांति भूषण और प्रशांत भूषण से कहा कि मुचलका भरने को केजरीवाल 'प्रतिष्ठा का सवाल' न बनाएं.

आम आदमी पार्टी के नेता को छह जून तक न्यायिक हिरासत में भेजा गया था. उनके ख़िलाफ़ भारतीय जनता पार्टी के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मानहानि का मामला दायर किया था.

केजरीवाल ने दस हज़ार रुपए का ज़मानती मुचलका भरने से इनकार कर दिया था जिसके बाद उन्हें 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था.

सोमवार को केजरीवाल की तरफ से हाई कोर्ट में एक 'हैबियस कार्पस' याचिका दायर की गई थी जिसमें आरोप लगाया गया था कि उन्हें ग़ैर क़ानूनी ढंग जेल में रखा गया है. याचिका में दिल्ली की निचली अदालत के फैसले को भी चुनौती दी गई थी.

'प्रतिष्ठा का सवाल क्यों'

मंगलवार को ये मामला जब उच्च न्यायलय की दो सदस्यों वाली खंडपीठ के सामने पहुंचा तो जजों ने केजरीवाल से कहा कि इस मामले को वह 'प्रतिष्ठा का सवाल' क्यों बना रहे हैं?

जजों ने वकीलों से कहा की वे तिहाड़ जेल जाकर केजरीवाल से बात करें और पहले ज़मानत की अर्ज़ी दायर करें.

इसके बाद शांति भूषण और प्रशांत भूषण केजरीवाल से मिलने तिहाड़ पहुंचे और उनसे मुचलका भरने की सहमति ले ली.

मामला आम चुनाव से पहले का है जब अरविंद केजरीवाल ने एक पत्रकार वार्ता में 13 लोगों पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया था, जिनमें नितिन गडकरी का भी नाम लिया गया था.

इसके बाद कई अन्य नेताओं समेत नितिन गडकरी ने उन पर मानहानि का मुकदमा किया था.

नितिन गडकरी की वकील पिंकी आनंद ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के आदर्शों का हवाला देते हुए ऐसा करने से इनकार कर दिया जिसके बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया.

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