कानपुर (इंटरनेट डेस्क)। Kharmas 2021 : ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब सूर्य अपने गुरू ग्रह 'धनु एवं मीन राशि में रहते हैं तब खरमास का आरम्भ कहा जाता है। यह स्थिति मकर संक्रांति तक रहती है। इस बार 16 दिसम्बर 2021 गुरुवार से खरमास प्रारंभ होगा। हिंदू पंचांगों के अनुसार इस अवधि में विवाह, जनेऊ संस्कार, मुंडन संस्कार, गृह प्रवेश जैसे कोई भी शुभ संस्कार व कार्य नहीं करना चाहिए। खरमास को कई जगहों पर मलमास के नाम से भी जाना जाता है। खरमास समाप्ति के पश्चात् यह शुभ कार्य विधिवत् शुरू किये जाते हैं। सूर्य का धनु राशि से निकलकर मकर राशि मे प्रवेश 14 जनवरी 2021, शुक्रवार को होगा।अतः इस दिन धनु मलमास की समाप्ति होगी और यहां से शुभ मांगलिक कार्य आरंभ हो जायेंगे।

साल में दो बार होता है खरमास

जब सूर्य धनु राशि में गुरु की राशि में प्रवेश करता है तो खरमास योग बनता है। साल में दो बार खरमास पड़ता है। पहले को धनुरमास और दूसरे को मीन राशि कहा जाता है। यानी जब भी सूर्य बृहस्पति - धनु और मीन राशि में प्रवेश करता है तो खरमास या मलमास होता है क्योंकि बृहस्पति सूर्य के कारण सुस्त हो जाता है। इसलिए जब सूर्य बृहस्पति की राशि में प्रवेश करता है तो विवाह आदि वर्जित माना जाता है। विवाह और शुभ कार्यों से संबंधित यह नियम मुख्य रूप से उत्तर भारत में लागू होता है, जबकि दक्षिण भारत में इस नियम का पालन कम होता है। दक्षिण भारत के कई हिस्सों जैसे चेन्नई, बैंगलोर में, विवाह इस दोष से मुक्त हैं।

खरमास की कथा

लोक कथाओं के अनुसार खरमास को अशुभ महीना मानने के पीछे एक पौराणिक कथा बताई जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, मार्कंडेय पुराण के अनुसार, एक बार सूर्य अपने सात घोड़ों वाले रथ के साथ ब्रह्मांड की परिक्रमा करने के लिए निकलते हैं। इस परिक्रमा के दौरान सूर्य देव को रास्ते में कहीं भी रुकने की मनाही होती है, लेकिन जब सूर्य देव के सात घोड़े कई वर्षों तक लगातार दौड़ने के कारण प्यास से व्याकुल हो जाते हैं, तब सूर्य देव उन्हें पानी देने के लिए बने तालाब के पास रुक जाते हैं। इस दाैरान उन्हें याद आता है कि उन्हें रास्ते में कहीं रुकना नहीं है। इसके बाद वे कुंड के पास अपने रथ में कुछ गधों को जोड़कर आगे बढ़ते हैं। इससे उनकी गति धीमी हो जाती है। यही कारण है कि खरमास को अशुभ मास के रूप में देखा जाता है।