मिलिए इस जासूस के जनक से
सबसे पहला सवाल कि किसने जन्म दिया ब्योमकेश बक्शी को. आपको बता दें कि एक खासे प्रसिद्ध बंगाली लेखक शाराबिंदु बंद्योपाध्याय को जासूसी पर कहानियां लिखने का बहुत शौक था. इन्होंने अपने बंगाली जासूसी साहित्य के जासूस हीरो को नाम दिया ब्योमकेश बक्शी का. शाराबिंदु ने ब्योमकेश को लेकर जासूसी पर कुल 30 कहानियां लिखीं हैं. अब बड़ा सवाल ये है कि क्या ब्योमकेश बक्शी अपने जीवन में बिल्कुल अकेले हैं. तो नहीं, ऐसा नहीं है. शाराबिंदु की रचनाओं में ब्योमकेश अकेले नजर नहीं आते. इनके साथ इन्होंने इनको दिया पूरा परिवार भी. इसमें शामिल हैं इनकी पत्नी और बच्चे.

ऐसा है इस जासूस का परिवार
यूं तो जासूसी की दुनिया में ब्योमकेश बक्शी के साथ उनका असिस्टेंट अजीत हमेशा नजर आता है. आइये आपको मिलाएं इनकी पत्नी और बच्चे से भी. इस प्रसिद्ध जासूस की पत्नी का नाम सत्यावती था. इन दोनों के एक बेटा भी था, जिसका नाम इन्होंने खोका रखा था. सत्यावती और खोका दोनों ब्योमकेश्ा के साथ उनकी हर एक कहानी में नजर आए हैं और आगे भी नजर आते रहेंगे.

ब्योमकेश को पसंद नहीं था जासूस कहलाना
रचना के अनुसार ब्योमकेश जासूसी जरूर करते थे, लेकिन उन्हें खुद को जासूस कहलाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था. ऐसे में इन्होंने अपने पेशे को नाम दिया 'सत्यनवेशी' का. 'सत्यनवेशी' का हिंदी में अर्थ होता है 'सच को खोजने वाला'. ऐसे में जो लोग ब्योमकेश के ज्यादा करीबी होते थे वो उन्हें इसी नाम से बुलाते थे 'सत्यनवेशी ब्योमकेश बक्शी'.

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