-हैलट में 40 परसेंट दवाओं की कमी, मेटर्निटी हॉस्पिटल से दवा लेकर चलाया जा रहा काम

-पौने तीन करोड़ की दवा का आर्डर दे दिया गया, लेकिन शासन से मिले सिर्फ एक करोड़

KANPUR : कानपुर में एलएलआर हॉस्पिटल को पूरे शहर में कोरोना के ट्रीटमेंट की कमान सौंपी गई है। कोविड-19 इंफेक्टेड पेशेंट्स के ट्रीटमेंट के लिए आईसीयू, एचडीयू समेत 200 बेडों की व्यवस्था तक कर ली गई है, लेकिन यह अस्पताल दवाओं की भारी किल्लत का सामना कर रहा है। हालात यह है कि मरीजों को नार्मल बुखार में दी जाने वाली सबसे सामान्य दवा पैरासीटामॉल तक की कमी है। शासन की तरफ से दवाओं के लिए जितना फंड देने का आश्वासन मिला था वह भी अभी नहीं मिल सका। वहीं फाइनेंशियल ईयर खत्म होने और आर्डर पूरा नहीं होने की वजह से अब पहले दिए गए दवाओं के आर्डर भी कैंसिल किए जा रहे हैं। जबकि अभी सिर्फ 60 प्रतिशत दवाओं की ही सप्लाई हो पाई है।

जरूरी दवाओं की किल्लत

मरीजों को बुखार में दी जाने वाली पैरासीटामॉल हो या फिर खांसी और गले के इंफेक्शन में दी जाने वाली सबसे कारगर एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन दवा एलएलआर हॉस्पिटल में पूरी तरह से खत्म हो गई हैं। कुछ समय पहले शासन से दवाओं की मद में पौने तीन करोड़ देने के आश्वासन पर ड्रग स्टोर से 150 तरह की दवाओं के आर्डर कर दिए गए, लेकिन फाइनेंशियल ईयर खत्म होने से ठीक पहले शासन से पौने तीन करोड़ की जगह एक करोड़ ही मिले। जिस पर दोबारा स्वीकृति लेकर दवाओं के आर्डर कराए गए। ड्रग स्टोर के चीफ फार्मासिस्ट राजेंद्र पटेल के मुताबिक अभी तक सिर्फ60 फीसदी दवा ही आ सकी है। जिसमें कई एंटीबायोटिक और इंजेक्शंस शामिल हैं। वहीं मेटर्निटी विंग में शुरू की गई फ्लू ओपीडी के ही दवा काउंटर में मेटर्निटी अस्पताल से दवाएं उधार लेकर मरीजों को दी जा रही हैं।

दवा सप्लाई में आ रही प्रॉब्लम

कोरोना वायरस के असर की वजह से काफी समय से दवाओं को बनाने में यूज किए जाने वाले सॉल्ट की किल्लत चल रही है। जेनेरिक दवाओं के ज्यादातर सॉल्ट की सप्लाई चीन से ही होती है। इस वजह से दवाओं की मैन्युफैक्चरिंग में भी प्रॉब्लम आ रही है। थोक दवा व्यापार मंडल के पदाधिकारी नंद कुमार ओझा ने बताया कि लॉकडाउन की वजह से भी दवा की सप्लाई पर असर पड़ा है। दवाओं के आर्डर वेटिंग में पड़े हैं। काफी माल लखनऊ और दूसरे शहरों में फंसा है।

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- 12 करोड़ रुपए मिले पिछले साल एलएलआर हॉस्पिटल को औषधि और रसायन मद में

-3 करोड़ रुपए सिर्फ लिक्विड ऑक्सीजन और सिलेंडर वाली आक्सीजन का खर्च

- 3 करोड़ रुपए ही जांचों में लगने वाले रीजेट और केमिकल की खरीद में खर्च हुए

- 6 करोड़ रुपए की दवा की खरीद हुई

- 11 लाख पेशेंट्स की ओपीडी हुई, 2019में एलएलआर हॉस्पिटल में

- 55 हजार से ज्यादा पेशेंट्स एडमिट हुए एलएलआर हॉस्पिटल में 2019 में

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''काफी दवाएं आ गई हैं। जबकि कई दवाओं की सप्लाई अभी होनी है। अब नए फाइनेंशियल ईयर के हिसाब से ऑर्डर किए जाएंगे। दवाओं की गुणवत्ता और समय पर उसकी सप्लाई पर खास ध्यान दिया जाएगा.''

- प्रो। आरके मौर्या, एसआईसी,एलएलआर एंड एसोसिएटेड हॉस्पिटल्स