परिणीति बहन,

तुम्हारी बड़ी बहन की शादी आने वाली है, हज़ारों काम होंगे। शॉपिंग करनी होगी। डांस आइटम की तैयारी करनी होगी. जूते चुराने की स्ट्रेटेजी बनानी होगी। जाके वो करो ना, कम से कम जूता चुराई से कुछ पैसे तो मिलेंगे। क्योंकि इस फिल्म से तो आपको बस बोर दर्शकों की हाय ही हाथ लगेगी और ऐसा भी हो सकता है कि ब्रिटिश एम्बेसी फिल्म में आपको देख कर सदा के लीये आपका वीसा रिजेक्ट कर दे।

अपनी फिल्मे प्लीज ध्यान से चुनिए।

योहान

अब आइये बात करते हैं फिल्म नमस्ते इंग्लैंड की...

कहानी :
यह मूवी इंग्लैंड के वीजा के लिए जतन करते एक मूर्ख कपल की महाकथा से ज्यादा कुछ नहीं है। हां इस फिल्म को देखकर आप अक्षय कुमार को जरूर मिस करेंगे, जिन्होंने साल 2007 में आई नमस्ते लंदन में कमाल कर दिया था।

रेटिंग : 1 STAR

'नमस्ते इंग्लैंड' मूवी रिव्‍यू : इंग्लैंड के वीजा के लिए जतन करते एक मूर्ख कपल की महाकथा

समीक्षा :
इतने सारे निर्माता इस फिल्म से जुड़े हैं। इस फिल्म को देखने के बाद मैं ज़रूर जानना चाहूंगा कि इस फिल्म की कहानी की पिच मीटिंग में कौन कौन भांग खाके बैठा था कि उन्होंने इस कहानी पे पैसे डालने का खयाल आया। फिल्म कचरा है, एक तो रीमेक का रीमेक बनाने का आईडिया ही जिसका था, उसको तो हिमालय भेज देना चाहिए और हमेशा के लिए नमस्ते कर देना चाहिए। ऐसी आड़ी तिरछी मूर्खतापूर्ण कहानी का स्क्रीनप्ले भी उतना ही अजीब है। मतलब कुछ भी हो रहा है। आपने कभी किसी बस स्टैंड के पास सड़क से शायरी वाली किताब खरीदी हो तो इस फिल्म के डायलॉग का इन्सपिरेशन तुरंत समझ आ जाएगा। इतने रद्दी डायलॉग मुझे याद नहीं कि पिछली बार कब सुने थे। मुझे एक बात और भी समझनी है, बॉलीवुड में कई बड़े शायर पंजाबी हैं, जैसे साहिर, गुलजार, पर जब भी हम पंजाबियों को फिल्मों में दिखाते हैं तो उनको इतना डम्ब क्यों दिखाते हैं? ये फिल्म पंजाबियों का लेवल इतना नीचे कर देती है कि पूछो मत। लोकेशन , कॉस्ट्यूम पे जित्ता पैसा बहाया है अगर कहानी में इन्वेस्ट होता तो फिल्म अच्छी भी बन सकती थी। पर सारा पैसा तो अर्जुन कपूर का मोटापा ढकने के लिए कपड़ों में और परिणीति के मेकअप में खर्च कर दिया शायद।

 

अदाकारी :
फरदीन का 'प्रेम अगन' का परफॉर्मेन्स आपको याद है? अर्जुन का ये परफॉर्मेन्स उससे भी 2 गुना खराब है। वो डायलॉग ऐसे बोलते हैं जैसे वाइवा एग्जाम में रट्टा मार के आया हुआ कोई स्टूडेंट जो धीरे धीरे डेफिनिशसन सुना रहा हो। परिणीति, लेडीज़ वर्सेस रिकी बहल, इशकज़ादे, हसी तो फसी में आपको देखने के बाद इस फिल्म में आपको देख कर अफसोस होता है। क्यों कर रही हैं आप ऐसी फिल्में।

कुल मिलाकर 'बधाई हो' देखने के बाद इस फिल्म को झेलना मेरे लिए बड़ा मुश्किल काम था। एन्ड क्रेडिट तक बैठने के लिए मुझे वीरता पुरुस्कार मिलना चाहिए।

पर चाहने से क्या होता है... न मिले चाहत तो दिल रोता है। (ये पथेटिक शायरी फिल्म के डायलॉग के सामने लिटरेचर है) इसीलिये मैं फिल्म को स्किप करने की सलाह देता हूँ। अपने रिस्क पर जाइये

Review by : Yohaann Bhaargava
Twitter : @yohaannn

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