- लोकबंधु में पंचकर्म विधि के तहत मरीजों का हो रहा इलाज

- डिप्रेशन, जोड़ों के दर्द में कारगार साबित हो रही विधि

LUCKNOW: लोकबंधु हॉस्पिटल में हेल्दी स्कीन के साथ कई तरह की बीमारियों से बचाव के लिए पंचकर्म विधि कारगार साबित हो रही है। मुंहासे से लेकर डिप्रेशन, जोड़ों का दर्द समेत अन्य बीमारियों के इलाज में इसके काफी अच्छे रिजल्ट मिले हैं। इसके विधि के तहत शरीर से गंदे खून को निकाला जाता है।

हर हफ्ते 3 से 5 पेशेंट आ रहे

पंचकर्म विधि से इलाज कर रहे डॉ। आदिल रईस बताते हैं कि हॉस्पिटल में जोंक या लीच विधि के साथ वैक्यूम ग्लास यानि कपिंग विधि से काफी असरकारक इलाज किया जा रहा है। जोंक थेरेपी के तहत जोंक को शरीर पर रखकर खून चुसवाया जाता है। इससे शरीर से दूषित खून को बाहर निकाला जाता है। थेरेपी के तहत मरीज की बीमारी के अनुसार जोंक के साथ करीब 45 मिनट से डेढ़ घंटे तक इलाज किया जाता है। इसके साथ कपिंग थेरेपी के तहत एक्यूप्रेशर प्वाइंट पर कट लगाकर वैक्यूम ग्लास कप लगाते हैं, जिससे गंदा खून जल्दी निकल जाता है। हालांकि इसमें दर्द थोड़ा ज्यादा होता है। ऐसे में पेशेंट की स्थिति को देखते हुए इलाज किया जाता है। डॉ। रईस ने बताया कि हर हफ्ते 3-5 लोग इसका लाभ उठा रहे हैं।

जोड़ों के दर्द में फायदेमंद

डॉ। आदिल बताते हैं कि जोंक थेरेपी से खुजली, घाव, नसों का फूलना, जोड़ों का दर्द, डायबिटीज और रक्त के थक्के बनना जैसी कई बीमारियां ठीक हो जाती है। दरअसल, जोंक लार के जरिए खून में हीरूडीन नामक रसायन छोड़ती है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन में सुधार के साथ बॉडी में अधिक ऑक्सीजन वाला खून बहने लगता है। हर पेशेंट के लिए अलग जोंक का यूज किया जाता है। इलाज होने के बाद जोंक को छोड़ दिया जाता है ।

सुंदरता बढ़ाने में भी फायदा

जोंक थेरेपी से डैंड्रफ या फंगल इंफेक्शन से भी छुटकारा मिल रहा है। इसके साथ ही कील-मुंहासे की समस्या में भी जोंक थेरेपी बेहद फायदेमंद है। इसके साथ हेयर ट्रीटमेंट के तहत सिर पर जहां बाल कम हैं, वहां जोंक को रखकर खून चुसवाया जाता है। इससे स्कैल्प को पोषण मिलता है। कपिंग थेरेपी सर्वाइकल, स्पांडेलाइटिस, डिप्रेशन, ज्वाइंट पेन, हाई बीपी, थायराइड, मोटापा सहित कई अन्य बीमारियों में बेहद कारगर है।

सावधानियां भी जरूरी

इस विधि से इलाज के तहत काफी सावधानी की भी जरूरत होती है। कपिंग थेरेपी छोटे बच्चों, प्रेग्नेंट महिलाओं, बुजुर्ग और कमजोर लोगों पर नहीं की जा सकती है। दरअसल, इस विधि से खून ज्यादा निकलता है। ऐसे में केवल एक्सपर्ट से ही थेरेपी करानी चाहिए।