मथुरा: अगर पुलिस की गश्ती टीम अपनी ड्यूटी सही तरह से निभा रही होती, तो कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी। यहां पर पुलिस पिकेट की ड्यूटी होती है, मगर यह पिकेट समय से पहले ही यहां से चली गई और इसके आधा घंटा बाद ही हादसा हो गया। मकहेरा गांव निवासी नीरज, लोकेंद्र समेत अन्य ग्रामीणों ने बताया कि पुलिया पर पुलिस पिकेट तैनात रहती है। यह रात करीब नौ-दस बजे आती है और सुबह चार बजे से पहले चली जाती है। ग्रामीणों का आरोप है कि पिकेट की टीम राजस्थान से बजरी लेकर आने वालों ट्रकों को रोककर वसूली करती है। वसूली का काम पूरा होते ही पिकेट लौट जाती है। अगर पिकेट सुबह पांच बजे तक ड्यूटी देती, तो हादसे की तत्काल जानकारी हो जाती। ऐसे में कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी।

गांव के दर्शन सिंह से जैसे ही हादसे की जानकारी मिली, हम पांच-दस मिनट में अपने चाचा सोनू के साथ बाइक लेकर नहर पर पहुंच गए। फिर आगरा कैनाल से आ रहे पानी को गेट लगाकर रोक दिया। लौटकर आए, तब तक कोई नहीं आया था। हम दोनों रस्सा बांधकर नहर में कूद गए। इसी समय दारोगा सुरेंद्र सिंह आ गए और वर्दी पहने ही नहर में कूद गए। इनोवा के साइड के दोनों शीशे खुले हुए थे और आगे का शीशा टूटा था। उससे शव निकाले गए।

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मैं सुबह खेतों की तरफ आ रहा था कि एक धमाके की आवाज सुनी। तभी हमारे गांव के दर्शन सिंह ने नहर में गाड़ी गिरने की बताते हुए आवाज दी। हम दौड़कर पहुंचे, तो इनोवा नजर नहीं आई। गांव से रस्सा मंगाए और पुलिया से बांधकर इनोवा को ढूंढने में लग गए। कुछ देर में ही इसे हमने तलाश कर लिया, जब तक रोहन सिंह गांव से ट्रैक्टर लेकर आ गया और कार को खींच कर किनारे किया।

रोजाना की तरह मैं अपने खेतों पर आ रहा था, तभी भीड़ देख पुलिया पर आ गया। मुझसे पहले नीरज, सोनू, बांके आदि ने नौ शव निकाल लिए थे। जब उन्होंने बताया कि जो शव निकाले गए हैं, उसमें ड्राइवर की सीट पर कोई नहीं था। तब शक हुआ कि अभी चालक का शव नहर में ही है। मैं अन्य ग्रामीणों के साथ कूद गया और करीब आधे घंटे की तलाश के बाद चालक का शव भी निकाल लिया।

Posted By: Inextlive