फिजिकल डिसेबिलिटी इंसान को काफी मजबूत बनाती है। कहा भी जाता है कि डिसेबिलिटी तो सिर्फ स्‍टेट ऑफ माइंड है। इस वाक्‍य को कई पॉपुलर इंडियंस ने सही साबित किया है। आज जब पूरी दुनिया विश्‍व विकलांगता दिवस मना रही है। तो ऐसे मौके पर सलाम करते हैं उन भारतीयों को....जिन्‍होंने अपनी डिसेबिलिटी को पीछे छोड़ बनाई अलग पहचान।


(1) Arunima Sinha :- अरुणिमा सिन्‍हा ने अपनी जिंदगी में कई मुश्‍किलों का समाना किया। अरुणिमा को चलती ट्रेन से डाकुओं ने नीचे फेंक दिया था। जिससे उन्‍हें अपना एक पैर खोना पड़ा। इसके बावजूद उन्‍होंने अपने जज्‍बे में कोई कमी नहीं आने दी और दो साल पहले ही माउंट एवरेस्‍ट पर चढ़ने वाली अरुणिमा पहली विकलांग महिला बनीं।(3) Girish Sharma :-गिरीश शर्मा बैडमिंटन चैंपियन रह चुके हैं। हालांकि बचपन में ट्रेन एक्‍सीडेंट में उन्‍होंने अपनी एक टांग खो दी थी। इसके बावजूद वह कभी पीछे नहीं हटे और बेहतरीन प्‍लेयर बनकर सामने आए।(5) H Ramakrishnan :-


रामाकृष्णन कम उम्र में ही पोलिया का शिकार हो गए। जिसके चलते उनके दोनों पैर खराब हो गए। शुरुआत में उन्‍हें कई स्‍कूलों ने अपाहिज के चलते एडमीशन देने से मना कर दिया था। लेकिन रामाकृष्णन ने कभी हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी को बेहतर ढंग से जिया। उन्‍होंने 40 साल तक जर्नलिस्‍ट के तौर पर कम किया। और फिलहाल वह एसएस म्‍यूजिक टेलिविजन चैनल के सीईओ हैं।(7) Sudha Chandran :-

सुधा चंद्रन इंडियन एक्‍ट्रेस और क्‍लॉसिकल डांसर हैं। सुधा का जन्‍म केरल में हुआ था। वह जब 16 साल की थीं, तब एक दुर्घटना का शिकार हो गईं थी। डॉक्‍टर्स ने पैर का ऑपरेशन किया लेकिन घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाए। जो बाद में इंफेक्‍शन का कारण बना और सुधा को अपना एक पैर खोना पड़ा। सुधा ने इसे अपनी कमजोरी नहीं माना और नकली पैर की बदौलत एक बेहतरीन डांसर बनकर उभरीं।(9) Dr. Suresh Advani :-सुरेश अडवाणी एक कैंसर के प्रसिद्ध डॉक्‍टर हैं। लेकिन वह 8 साल की उम्र में पोलिया का शिकार बन गए। 2002 में पद्मश्री और 2012 में उन्‍हें पद्म विभूषण से सम्‍मानित किया जा चुका है।(10) Malathi Krishnamurthy Holla :- मलाठी इंटरनेशनल पैरा एथलीट हैं। पैरा ओलिंपिक की 200मी रेस में वह गोल्‍ड मेडल जीत चुकी हैं।

Posted By: Kanpur Desk