10 फीसदी मार्क्सशीट फर्जी
प्राइवेट कंपनियों में फर्जी मार्क्सशीट पर पा रहे है नौकरी
वेरिफिकेशन केलिए आने वाली मार्क्सशीट में दस प्रतिशत फर्जी Meerut। नौकरी पाने के लिए युवा फर्जी सेंटर के चंगुल में फंस रहे हैं, जहां उन्हें मिलती है फर्जी मार्क्सशीट। हकीकत उस वक्त सामने आती है, जब मार्क्सशीट वेरीफिकेशन में फर्जी निकलती है। पश्चिम बंगाल, केरल के साथ अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में फर्जी मार्क्सशीट बनाने का खेल चल रहा है। अन्य राज्यों की यूनिवर्सिटी के नाम पर खुले हुए सेंटर युवाओं को फर्जी एडमिशन व मार्क्सशीट बनाकर देते हैं। यूनिवर्सिटी में लगातार ऐसी मार्क्सशीट आ रही है। लगातार आ रही है मार्क्सशीटप्राइवेट कम्पनीज से सीसीएस यूनिवर्सिटी में लगातार वेरीफिकेशन के लिए मार्क्सशीट आ रही है। यूनिवर्सिटी प्रशासन के अनुसार उनमें सें हर महीने लगभग दस प्रतिशत मार्क्सशीट फर्जी पाई जाती हैं। यूनिवर्सिटी में हर महीने लगभग 200 से ज्यादा मार्क्सशीट सत्यापन के लिए विजीलेंस की टीम केपास आती हैं, जिसमें सरकारी व प्राइवेट दोनों कर्मचारियों की मार्क्सशीट शामिल हैं। सरकारी नौकरियों में लगाई गई मार्क्सशीट तो कम फर्जी पाई जाती हैं, लेकिन प्राइवेट कंपनियों में लगाई गई मार्क्सशीट में ज्यादा फर्जी निकलती है।
गिरोह कर रहा कामविभिन्न यूनिवर्सिटी के नाम पर पूर्वोत्तर राज्यों में केंद्र बनाए हुए है, जहां पर पूर्वोत्तर के युवाओं को यूनिवर्सिटी से संबंधित होने के बात बताकर प्रवेश दिलाते है, लेकिन वह सेंटर फर्जी होते हैं। सेंटर वाले स्टूडेंट्स को मार्क्सशीट तो उपबल्ध करा देते हैं, मगर जब वह नौकरी में अप्लाई करते हैं तो उनकी मार्कशीट फर्जी साबित होती हैं।
सत्यापन का बढ़ा ट्रेंड पहले प्राइवेट कंपनी अपने यहां नौकरी करने वाले लोगों का सत्यापन नहीं करवाती थी, लेकिन लगभग तीन सालों से प्राइवेट कंपनी भी अपने यहां पर वर्क करने वाले कर्मचारियों की मार्क्सशीट का सत्यापन करवाने लगे हैं, जिसमें बड़ा खेल देखने को मिल रहा है। हर महीने 200 या उससे अधिक मार्कशीट सत्यापन के लिए आती हैं। सरकारी कार्यालय से आने वाली मार्क्सशीट तो जांच में सही पाई जाती है, लेकिन प्राइवेट कंपनी से आने वाली मार्कशीट में लगभग 10 प्रतिशत से ज्यादा मार्क्सशीट फर्जी पाई जाती है। प्रो। संजय भारद्वाज, विजीलेंस अधिकारी, सीसीएसयू