आप शतायु हो गये हैं। एक रुपया के नोट से गुरुवार को आप यह कह सकते हैं क्योंकि 30 नवंबर एक रुपया के नोट का सौवां जन्मदिन है। ब्रिटिश इंडिया में 30 नवंबर 1917 को एक रुपया का पहला नोट जारी किया गया था। 25 नोट के अनस्टैपल्ड पैकेट में जारी किये गये इस नोट में तीन में से किसी एक सिग्नेचरीज के हस्ताक्षर होते थे जिनमें एमएमएस गुब्बे एसी मैकवाटर और एच डेनिंग के नाम शामिल हैं। इस नोट में जार्ज पंचम की तस्वीर होती थी। यह नोट हैंड मोल्ड कागज से बने होते थे। उस समय एक रुपया की कीमत 13 अमेरिकी डॉलर के बराबर थी।


एक रुपया का नोट 400 में खरीदा अब 20 हजार कीमत


धनबाद के कुसुम विहार निवासी नोट और क्वाइन कलेक्टर अमरेंद्र आनंद के पास 1917 में जारी एक रुपया का पहला नोट है। श्री आनंद ने बताया कि उन्हें बचपन से ही नोट कलेक्शन का शौक है। उनके पास एमएमएस गुब्बे, एसी मैकवाटर और एच डेनिंग के सिग्नेचर से जारी 1917 में जारी किए गये एक रुपया के नोट हैं। यही नहीं उनके पास 1917 से 2017 तक जारी किया गया तकरीबन हर एक रुपया का नोट है। श्री आनंद ने बताया कि यह एक रुपया का नोट उन्होंने 15 साल पहले 400 रुपये में खरीदा था और आज इसकी कीमत न्यूमिस्मैटिक मार्केट में 20,000 से उपर है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1917 में जारी एक रुपया के नोट में पहला सिग्नेचर एसी मैकवाटर का था। एमएमएस गुब्बे 1920 में गवर्नर एप्वाइंट किये गये पर 1917 में जारी किये गये नोट में उनके और एच डेनिंग के सिग्नेचर थे। इसकी वजह यह थी कि 1917 से 1934 तक जो भी एक रुपया के नोट जारी किये गये उसमें नोट जारी करने का वर्ष 1917 ही था चाहे वह 1920 में जारी किये गये हों या 22 में।

जल्द ही गुलाबी व हरे रंग के साथ शुरू होगा एक रुपये का नोटतब एक रुपया में मिलता था पांच सेर चावलएक रुपया के नोट की सौवीं वर्षगांठ की कहानी जितनी रोचक है उससे रोचक उससे जुड़ी लोगों की यादें हैं। एक जमाने में एक रुपया में आधा सेर (करीब 466 ग्राम) घी और एक किलो सरसो तेल खरीदा जा सकता था। रिम्स के एक्स डायरेक्टर डॉ. तुलसी महतो, आरयू पीजी हिन्दी डिपार्टमेंट के पूर्व एचओडी डॉ. नागेश्वर सिंह व वर्तमान एचओडी डॉ. जंगबहादुर पांडेय से जानिए 1955-60 में एक रुपया का महत्व।नये साल में मिलेगा 1 रुपये के नोट का तोहफा1 रुपया में आधा किलो घी

1960 में एक रुपया में आधा किलो शुद्ध देसी घी खरीदा जा सकता था। सरसो तेल एक रुपया किलो था। इस समय हम एक रुपया में भरपेट जलेबी भी खा लेते थे और खिलौने खरीदने के बाद भी पैसे बच जाते थे। 1964 में मुझे ढाई रुपये की स्कॉलरशिप मिली थी और आज की तारीख में वह ढाई रुपये ढाई हजार से भी अधिक की रकम होगी। 1950 में पहला एक रुपया का सिक्का जारी किया गया, जिसमें गेहूं की बालियां थीं और यह प्योर निकेल का था। उस समय एक सिक्का लगभग 12 ग्राम का होता था।- डॉ. जंगबहादुर, एचओडी, पीजी हिंदी डिपार्टमेंट, आरयू सिनेमा देखने, खाने के बाद भी बचते थे पैसे 1960 में एक रुपया बहुत बड़ी चीज हुआ करती थी। उस समय हमें जेब खर्च के लिए एक आना मिलता था। एक रुपया में सिनेमा देखकर और खाना खाकर भी कुछ पैसे बच ही जाते थे। उन्होंने बताया कि एक रुपया का जलवा हमेशा रहा। शादी-ब्याह हो या दक्षिणा देना, लोग शगुन के रूप में एक रुपया देते थे। - डॉ. तुलसी महतो, एक्स डायरेक्टर रिम्स एक रुपया के बंडल को रखा है संभालकरएक रुपया के नोट से उनकी यादें जुड़ी हुई है इसलिए एक रुपया के वर्ष 1985 के नोट का एक पूरा बंडल उन्हें संभाल कर रखा हुआ है। उन्होंने बताया कि वर्ष 1959 में जब वह पांच साल के थे तो पहली बार एक रुपया का नोट देखा था। तब मेरी दीदी एक आना दिया करती थी और उसमें मूंगफली और खीरा सब मिल जाया करता था। - डॉ. सुशील अंकन पीजी फिलॉस्फी डिपार्टमेंट, आरयू

Posted By: Satyendra Kumar Singh