राजद्रोह के 23 मुक़दमे, पर 'आप' के संभावित उम्मीदवार
मगर ख़ुद यह गाँव यहाँ के लोगों के लिए एक खुली जेल की तरह हैं. यहाँ के सब से प्रसिद्ध नागरिक हैं परमाणु ऊर्जा विरोधी कार्यकर्ता-एसपी उदय कुमार, जो दो सप्ताह पहले आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए.खुली जेल इसलिए है कि उदय कुमार और उनके साथी अगर गाँव से बाहर निकले तो उन्हें गिरफ़्तार किए जाने का ख़तरा है. इसलिए वे गाँव में ही रहते हैं. उदय कुमार और उनके क़रीब 8,000 साथियों के ख़िलाफ़ राजद्रोह के मुक़दमे दर्ज हैं.ये मुक़दमे तीन साल तक कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए जाने के ख़िलाफ़ आंदोलन करने पर दर्ज किए गए हैं.उदय कुमार कहते हैं, “ख़ुद मेरे ख़िलाफ़ राजद्रोह के एक-दो नहीं, बल्कि 23 मुक़दमे दर्ज हैं.”
उदय कुमार को आम आदमी पार्टी की तरफ से कन्याकुमारी क्षेत्र से आम चुनाव लड़ने के लिए चुना जा सकता है. वह ख़ुद इसे लगभग तय मानते हैं. लेकिन अगर नामांकन पत्र दाखिल करने वह गाँव से बाहर गए तो उन्हें गिरफ़्तार किया जा सकता है.'आप' के संभावित उम्मीदवारउन्होंने बीबीसी को बताया, “अगर वे गिरफ़्तार करना चाहें तो कर लें. मैं जेल जाने को तैयार हूँ. वे हमें जेल में भर सकते हैं, मार तो नहीं सकते.”
उदय कुमार की लोकप्रियता का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि पुलिस ने उन्हें कई बार गिरफ़्तार करने की कोशिश की, लेकिन गाँव वाले पुलिस को अंदर घुसने ही नहीं देते.पुलिस और आसपास के लोग भी इस गाँव में जाना पसंद नहीं करते. मेरे होटल के मैनेजर को जब यह पता चला कि मैं इदीनथाकराई गाँव जा रहा हूँ, तो वह एकदम चिंतित हो गए और कहने लगे, "आप मत जाओ, वहां बहुत ख़तरा है."यह गाँव एक खुली जेल की तरह ज़रूर है, पर एसपी उदय कुमार का गढ़ भी है.
गाँव पहुँचने पर कई लोगों की एक छोटी सी भीड़ ने हमारी गाड़ी रोक दी. वे हमें शक की निगाह से देख रहे थे. मैंने जब उन्हें बताया कि मैं गाँव के गिरजाघर में उदय कुमार से मिलने जा रहा हूँ तो वे पीछे हट गए.गिरजाघर के बाहर हमारी गाड़ी रुकी. मैंने एक आदमी से पूछा कि उदय कुमार कहाँ मिलेंगे, तो उसने गिरजाघर के अंदर की तरफ इशारा किया. उसने मुस्कुराते हुए कहा वह इस गिरजाघर के ‘फ़ादर’ हैं.मुझे अंदर बैठाया गया. मैं उदय कुमार का इंतज़ार कर रहा था. गिरजाघर के अंदर कुछ रिहाइशी मकान थे. कुछ देर में उदय कुमार मुस्कराते हुए हमारे पास आकर बैठ गए और मोटे चश्मे के फ्रेम के बाहर से देखकर मुझसे बातें करने लगे.देशभर में परमाणु ऊर्जा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ने वाले और जीवनभर एक सामाजिक कार्यकर्ता रहे उदय कुमार ने राजनीति में आने का फ़ैसला क्यों किया?उनका कहना था, “हम परमाणु ऊर्जा के ख़िलाफ़ अपनी लड़ाई संसद तक ले जाना चाहते हैं.”भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई
आम आदमी पार्टी में शामिल होने पर वह कहते हैं, “हमने लगभग सभी पार्टियों से परमाणु ऊर्जा प्लांट की योजना को रोकने में उनकी मदद मांगी लेकिन किसी पार्टी ने हमारी नहीं सुनी. अरविंद केजरीवाल ने हमारा साथ दिया और वह हमारी लड़ाई में हमारे साथ हैं. इसलिए हमने ‘आप’ में शामिल होने का फ़ैसला किया.”अगर वह चुनाव में ‘आप’ के उम्मीदवार हुए तो क्या परमाणु ऊर्जा को ख़ास मुद्दा बनाएंगे?वह कहते हैं, "हाँ यह मुद्दा होगा. लेकिन केवल इसलिए नहीं कि हम परमाणु ऊर्जा के ख़िलाफ़ हैं बल्कि इसलिए भी कि इसमें भी भ्रष्टाचार हो रहा है. परमाणु बिजलीघर के लिए जो यंत्र मंगाए गए हैं उनकी क्वालिटी सही नहीं है. इसमें भ्रष्टाचार हो रहा है.”उदय कुमार फ़िलहाल अपने गाँव से बाहर कहीं नहीं जा रहे हैं. उन्होंने बताया, “अगर मुझे चुनाव लड़ने के लिए कहा गया तो मैं लडूंगा और अपने गाँव से बाहर निकलूंगा चाहे वे मुझे गिरफ़्तार ही क्यों न कर लें.”वह जेल से भी चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं.