आज 20 जुलाई दिन बुधवार से सावन मास की शुरुआत हो गई है। पूरे सावन भर भगवान शिव की पूजा आराधना किए जाने का महत्‍व है। इसके पीछे माना जाता है कि भगवान शिव की रोज पूजा करने से पुण्य फल प्राप्त होते हैं। जिससे लोगों के दिमाग में ये सवाल अक्‍सर उठते हैं कि आखिर शंकर जी की ही पूजा क्‍यों इस महीने में होती हैं। ऐसे में आइए जानें शास्‍त्रों में वर्णित सावन में शिव महत्‍व के बारे में...


अमरत्व की कहानी: एक बार जब शिव पार्वती को अमरत्व की कहानी सुना रहे थे। उस समय पार्वती को अचानक से नींद आ गई और वह सो गई। तभी वहां पर मौजूद एक तोते ने पूरी कहानी सुनी। हालांकि तोता ने बाद में भगवान शंकर के कोप से बचकर शुकदेव जी के रुप में जन्म लिया। इसके बाद नैमिषारण्य क्षेत्र में शुकदेव जी ने सावन में यह अमर कथा भक्तों को सुनाई। तभी यहां पर भगवान शंकर ने ब्रह्मा और विष्णु के सामने शाप दिया। शाप के मुताबिक आने वाले युग में इस अमर कथा को सुनकर कोई अमर नहीं होगा, लेकिन हां पूर्व जन्म और इस जन्म में किए पाप और दोषों से लोग मुक्त हो जाएंगे। मारकण्डेय जी की कथा:
वहीं इसके पीछे मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय की कथा भी वर्णित है। कहा जाता है कि मारकण्डेय ने लंबी उम्र के इसी महीने भगवान शिव की कठिन अराधना व तप किया था। जिससे भगवान शिव भी उनसे काफी खुश हुए थ्ो। इसी वजह से ही मारकण्डेय से मृत्यु के देवता यमराज भी पराजित हो गए। इस महीने में शिव की अराधना करने से पारिवारिक कलह, अशांति, आर्थिक हानि और कालसर्प योग से आने वाली बाधाएं समाप्त होती हैं। सबसे खास बात तो यह है कि इस माह में जो भी मनुष्य भगवान शिव की सच्चे दिल से आराधना करता है उसे उम्मीदों से कई गुना फल प्राप्त होता है।

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Posted By: Shweta Mishra