सीबीआई अदालत ने पीलीभीत फर्जी एनकाउंटर मामले में सभी अभियुक्‍तों को आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनाई है। अदालत ने इंस्‍पेक्‍टर सब इंस्‍पेक्‍टर और सिपाही को अलग अलग श्रेणी में सजा सुनाई है। फैसले में 47 पुलिस कर्मयों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई।


पीडितों के परिवार को मिलेगा 25 साल बाद मुआवजाअदालत ने पीडि़त परिवारों को 14-14 लाख रुपये मुआवजा देने का फैसला किया है। जिसे अभियुक्तों के जुर्माने से दिया जाएगा़। अदालत ने इंस्पेक्टर को 11 लाख सब इंस्पेक्टर को 7 लाख व सिपाही को 2 लाख 75 हजार रुपये जुर्माने का आदेश दिया है। इस मामले में सीबीआई अदालत ने 12 जुलाई 1992 में पीलीभीत में तीन अलग अलग जगहों पर 11 सखि यात्रियों को फर्जी एनकाउंटर मामले में पुलिस के 47 में से 27 पुलिस वालों को दोषी पाया है। इससे पहले अदालत द्वारा दोषी करार दिए जाने के बाद कई पुलिस वाले लंबी छुट्टी के बाद कहीं गायब से हो गए थे। वहीं कुछ पुलिस वाले 25 साल तक चले ट्रायल के दौरान ही रिटायर थे। 25 सालों तक चला ट्रायल फिर आया फैसले का दिन
गौरतलब है कि बीते 12 जुलाई 1991 को सिख यात्रियों की एक बस नानकमाथा पटना साहिब हजूर साहिब और दूसरे धार्मिक स्थानों का दर्शन करके वापस पंजाब लौट रहे थे। रास्ते में कचलाघाट के पुल पर पुलिस ने उनकी बस रोक ली और जबरदस्ती 11 सिख पुरुषों को बस से उतरने के लिए कहा। बाद में बताया गया कि उन्हें पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया। क्योकि वे आतंकवादी थे। उन्होंने पुलिस पार्टी पर गोलिया चलाईं थी। अपनी बात साबित करने के लिए पुलिस ने अवैध हथियारों की बरामदगी भी दिखाई थी। जब मामला सीबीआई के पास पहुंच और टीम घटना की तह तक गई तो पता चला कि सभी एनकाउंटर फर्जी थे।

Posted By: Prabha Punj Mishra