दुनिया भर में सूर्य ग्रहण के बारे कई तरह की बातें कही जाती हैं। वैज्ञानिक तथ्‍यों से परे कई मिथ भी इस बारे में प्रचलित हैं। आज सूर्य ग्रहण के मौके पर हम आपको बता रहे हैं विश्‍व में इस बारे में प्रचलित कुछ बेहद अजीबो भ्रम के बारे में।

सूरज को वो निगल गया
सबसे पहली बात तो कि अधिकांश स्थानों पर ये भ्रम प्रचलित है कि सूर्य ग्रहण एक अशुभ संकेत है। इसी के चलते विश्व के कई स्थानों पर माना जाता है कि ग्रहण किसी पशु द्वारा सुर्य को निगल लेने के कारण पड़ता है। विकिंग्स कहते हैं ये पशु एक भेड़िया है, जबकि वियतनामी विश्वास है कि ये एक मेंढक प्रजाति का जीव है। अब ये आप तय कर लीजिए कि किस जानवर ने सूरज को निगला है।   
सूरज की चोरी हुई
अगर कोरियन भ्रम की माने तो ग्रहण के दौरान कुछ पौराणिक प्राणियों द्वारा सूरज चुरा लिया जाता है। इन प्राणियों को वहां अग्नि श्वान यानि आग वाले कुत्ते कहा जाता है। वे ऐसा एक दुष्ट राजा की आज्ञा मान कर करते हैं। ये भी कहा ज्यादा कि जब वे कुत्ते सूरज का चुराने में सफल नहीं होते हैं तो वो उसका एक टुकड़ा काट लेते हैं और आंशिक सूर्य ग्रहण पड़ता है। 

दैवीय द्वंद युद्ध
अफ्रीका की कई जन जातियों में आज तक ये विश्वास प्रचलित है कि सूरज और चांद के बीच एक दैवीय द्वंद युद्ध चल रहा है और जब उन्हें शांत करके समझाने के लिए अलग जगह ले जाया जाता है तो ग्रहण पड़ता है।
परिवार का समय
वहीं अमेरिका और उसके आसपास के कुछ इलाकों में माना जाता है कि ये ब्रह्मांड में ये कास्मिक आदेश को बताने और दिखाने के लिए पड़ते हैं। इसलिए ये कहा जाता है कि ग्रहण के समय पर लोगों को घरों के अंदर अपने परिवार और परिजनों के साथ समय बिताना चाहिए। इस मौके पर पारंपरिक बांडिंग दिखाने के लिए कुछ खास गीत साथ में गाये जाते हैं जिसमें ग्रहण के दौरान खाने, पीने और सोने के कार्यक्रमों के बारे में बताया जाता है।
राहु केतू का फंडा
ऐसा ही एक मिथ भारत में भी प्रचलित है कि राहु नाम का एक राक्षस अमृत चुराने के लिए देवताओं में भेष बदल कर शामिल हो जाता है लेकिन भगवान विष्णु उसे पहचान जाते हैं और सुदर्शन चक्र से उसका गला काट देते हैं परंतु अमृत के चलते उसका सिर अमर हो जाता है और वही सुर्य ग्रहण में सूर्य को ग्रस लेता है।  
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Posted By: Molly Seth