1950ज इंडियन फिल्म की गोल्डन एरा की साफ तस्वीर 40ज के एंड में ही दिखनी शुरू हो गई थी जब राज कपूर दिलीप कुमार और देव आनंद ने अपने टैलेंट की पोटली खोलनी शुरू की. इंडियन सिनेमा की ये सक्सेस इन तीनों की सक्सेस के साथ ही शुरू होती है.

1940ज का वक्त बीतते-बीतते ही अगले डिकेड की तस्वीर साफ होने लगी थी, वो तस्वीर जिसमें तीन ऐसे नाम साफ दिखाई दे रहे थे जो आने वाले वक्त में इंडस्ट्री के आसमान पर छा जाने वाले थे: देव आनंद, दिलीप कुमार और राज कपूर. इंट्रेस्टिंग ये कि इन तीनों की एंट्री 40ज में ही हो चुकी थी.

दिलीप कुमार
दिलीप कुमार (मोहम्मद यूसुफ खान) फिल्मों में काम करना चाहते थे लेकिन उनके पिता इसके खिलाफ थे. पिता से झगड़ा होने के बाद वह पुणे आ गए और एक फूड कैंटीन में काम करने लगे. देविका रानी ने उन्हें एक मिलीटरी कैंटीन में देखा और अपनी फिल्म ज्वार भाटा में लीड रोल के लिए फाइनल कर दिया. ये दिलीप कुमार का डेब्यू था. उन्हें दिलीप कुमार नाम दिया मशहूर राइटर भगवती चरण वर्मा ने.
पॉपुलैरिटी
दिलीप कुमार की शुरुआती फिल्में आईं और चली गईं. मगर 1940ज के एंड तक उन्हें नोटिस किया जाने लगा. ट्रैजडी किंग दिलीप का सितारा चमका 1950ज में, और कुछ ऐसे कि उन्हें इंडियन सिनेमा के सबसे बड़े स्टार्स में से एक माना जाता है.
हाईलाइटर:
ट्रैजेडी किंग के नाम से जाने जाने के बाद, दिलीप ने अपने साइकियाट्रिस्ट के सजेशन पर हल्की-फुल्की फिल्में करनी शुरू की थीं

Raj kapoor
1947 में बतौर मेल लीड, नील कमल में आने से पहले राज कपूर  करीब 12 फिल्में कर चुके थे जिन्हें कुछ खास नोटिस नहीं किया गया. नील कमल आई और राज कपूर का नाम छा गया. राज कपूर को शो मैन उनकी एक्टिंग एबिलिटी नहीं, सिनेमा को बतौर फिल्म मेकर कई बेहतरीन फिल्में देने के लिए कहा जाता है. राज, इस ट्रायो के शायद इकलौते स्टार थे जिसकी पॉपुलैरिटी रशिया, चाइना, साउथ ईस्ट एशिया तक थी.
फिल्म मेकिंग:
राज कपूर की सक्सेस का बहुत बड़ा रीजन उनकी अपनी फिल्म मेकिंग है. 50ज के दौर में एक्टिंग के साथ ही वह फिल्म मेकिंग में भी काफी हद तक एक्टिव हो चुके थे. वह अपने वक्त के सबसे कम उम्र डायरेक्टर थे. राज कपूर को बेस्ट टैलेंट से जुडऩा पसंद था. फिल्म मेकर से लेकर प्लेबैक सिंगर, म्यूजीशियन तक, उनके इर्द गिर्द इंडस्ट्री का सबसे बड़ा टैलेंट रहता था.

Posted By: Garima Shukla