-सिटी के प्राइवेट व नर्सिग होम में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स उड़ा रहे एनएबीएच की धज्जियां

-750 डॉक्टर्स में से सिर्फ तीन ने शुरू की डिजिटल प्रैक्टिस

GORAKHPUR: चाहे क्लीनिक पर प्रैक्टिस हो या फिर नर्सिग होम में। सिटी के करीब 99 प्रतिशत डॉक्टर्स नॉन डिजिटल प्रैक्टिस कर रहे हैं। एक तरफ सरकारी हर जगह डिजिटली वर्क पर जोर दे रही है तो वहीं सिटी के प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स नियमों की धज्जियां उड़ा रहे हैं। साथ ही बड़े पैमाने पर इनकम टैक्स की चोरी भी कर रहे हैं। इसका खुलासा दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की तहकीकात में हुआ है।

747 डाक्टर्स करते हैं चीटिंग

नर्सिग होम, हॉस्पिटल और क्लीनिक में प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स को नेशनल एक्रीडिटेशन बोर्ड फॉर हॉस्पिटल्स एंड हेल्थ केयर प्रोवाइडर्स की तरफ से सर्टिफिकेट दिया जाता है। यह सर्टिफिकेट तभी दिया जाएगा जब प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स पूरी तरह से डिजिटल होंगे। लेकिन सिटी के 750 डॉक्टर्स में महज तीन डॉ। इमरान अख्तर, डॉ। संजय त्रिपाठी और डॉ अनिल श्रीवास्तव नियम का पालन करते हैं। डॉ। इमरान को एनबीएच की तरफ से ब्राउंज मेडल भी मिल चुका है। बाकी के 747 डॉक्टर्स इस मानक पर प्रैक्टिस ही नहीं करते हैं।

डिजिटल प्रैक्टिस से रूकेगी टैक्स की चोरी

डिजिटली प्रैक्टिस कर रहे बेतियाहाता स्थित ऑर्थोपेडिक्स डॉ। इमरान अख्तर बताते हैं कि वे डॉक डॉट बाक्स साफ्टवेयर की मदद से मरीज को डिजिटली देखते हैं। मरीज की डिटेल्स लेकर उसकी पूरी हिस्ट्री दर्ज करते हैं। उसके बाद उसका इलाज करते हैं। उसकी पूरी रिपोर्ट ऑनलाइन होती है। डिजिटल रिपोर्ट मरीज अपने यूनिक आईडी नंबर के जरिए इंडिया के किसी भी कोने से आसानी से देख सकते हैं। वे बताते हैं कि मरीज को नेक्स्ट टाइम देखने के लिए उसे बुक अप्वाइंटमेंट की सुविधा है। बिलिंग की भी सुविधा ऑनलाइन है। आईटीआर दर्ज करने में कोई दिक्कत नहीं होती है।

क्या होगा पेशेंट्स को फायदा

- पेशेंट्स की पहले जनरेट की जाती है यूनिक आईडी

- यूनिक आईडी जनरेट होने के बाद मरीज का नाम, पता, फोटो होगा दर्ज

- दर्ज होने के बाद जमा होगा फीस

- डॉक्टर के प्रेसिक्रिप्शन में मरीज के दवा से लगाए उसके डोजेज होंगे दर्ज

- मरीज के फीस की रसीद और दवा की रसीद मरीज को दी जाएगी।

- नगदी, कैशलेश के साथ-साथ अप्वाइंटमेंट की मिलेगी सुविधा

- एक क्लिक पर डॉक्टर द्वारा मरीज को बल्क मैसेज भेजने की सुविधा

- डाक्टर को आईटीआर दर्ज करने में नहीं होगी दिक्कत, टैक्स चोरी में बचने की राहत

फैक्ट फीगर

- प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले डॉक्टर्स की संख्या - 750

- प्रतिदिन डॉक्टर द्वारा देखे जाने वाले मरीजों की संख्या - 20-150

- नर्सिग होम की संख्या - 800

- क्लिनिक - 1350

कोट्स

हम सभी डॉक्टर्स की यह नैतिक जिम्मेदारी है कि हम मरीज का जब इलाज करें तो पर्चे पर प्रेसक्राइब करने के बजाय डिजिटली करें। कुछ डॉक्टर्स ने शुरू किया है। हम भी शुरू करेंगे।

डॉ। एसके कौशिक, अध्यक्ष, आईएमए

सिटी के तीन डॉक्टर्स डिजिटल प्रेसक्राइब करते हैं। मरीज का यूनिक आईडी बनाते हैं। जो नहीं करते हैं उनसे भी कहा जाएगा। इसके लिए मीटिंग की जाएगी। ताकि मरीज और डाक्टर दोनों को फायदा हो।

डॉ। राजेश गुप्ता, सेक्रेटरी, आईएमए

Posted By: Inextlive